स्पेन का इतिहास | Span Ka Itihaas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चन्द्र मनोहर मिश्र - Chandra Manohar Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारा वक्तव्य । (०)
भयकर आडम्बरों की ज्वाला से कुछ दूर हाने पर भी ये शान्ति-
पूर्वक न बैठ सके। भगडा कसाद और लडाई टंटा देता ही
रहा। यही विशेष कारण है जिससे इग्लेंड पव जमनो के साथ
दूसरी ओर तराजू में बैठ कर इस देश का पल्छा ऊपर के बहुत
ज्यादा उठ जाता है। वर्तमान काल में ग्रौर देशों के आगे बहुत
घढा हुआ देख कर इन्हे भी हेश आया और उचित रीति से
इन्होंते काम करना शुरू क्रिया है ।
आदि से छेकर अन्त तक लड़ते ही रददने का यद फल है
कि आज्ञ स्पेन में १०० में ६० से भी ज्यादा पुरुष बिलकुल
अपढ है। जद्दों विद्या ही हों, वहाँ ग्रार चम्त्कारो का नाम तक
सुनने में नहों आसलकता। विद्या का फैछाव आदमी चैन से ही
चैठते पर कर पाता है। हजारों वर्ष तक धर्मान्थ रहकर श्र शान्ति
रूपी वृक्ष के जड से उस्लाड ग्रैेर फेक कर, इस देश ने अपनो सब
सम्रद्धि गंवादी प्रेर अब अपनी प्रचण्ड मूर्खता के बुरे परिणामें से
अपने स्वत्वों के परिमित, शासन प्रथा का अज्ञक्नत, धरम के निददे-
यता मालिन्य, विद्या के स्वत्प श्रेर व्यवसाय फे निबेल देखकर
इसे सूमी है कि हमें भी ससार में शक्तिमान् बनना चादिए, नहों
ते। विकास सिद्धान्त के अनुकूल एक न एक दिन जददी ही दुनिया
से मारे भैर कुचिले जाकर मिट जाना पडेगा--यहाँ तक कि नाम
निशान भी न घाकी रहेगा।
दम भारतवासिये के लिए स्पेन का इतिहास एक बढिया
उदाहरण दै। क्या हमारे हिन्दू घेर मुखत्मान भाई, सनातनथर्मी
ग्रौर आये समाजी, ईसाई और जैनो इत्यादि इस इतिद्ास के पढ
कर भी धर्म के नाम से डाई छडने ग्रौर शा््राथ करने का
User Reviews
No Reviews | Add Yours...