स्पेन का इतिहास | Span Ka Itihaas

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Span Ka Itihaas by चन्द्र मनोहर मिश्र - Chandra Manohar Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हमारा वक्तव्य । (०) भयकर आडम्बरों की ज्वाला से कुछ दूर हाने पर भी ये शान्ति- पूर्वक न बैठ सके। भगडा कसाद और लडाई टंटा देता ही रहा। यही विशेष कारण है जिससे इग्लेंड पव जमनो के साथ दूसरी ओर तराजू में बैठ कर इस देश का पल्छा ऊपर के बहुत ज्यादा उठ जाता है। वर्तमान काल में ग्रौर देशों के आगे बहुत घढा हुआ देख कर इन्हे भी हेश आया और उचित रीति से इन्होंते काम करना शुरू क्रिया है । आदि से छेकर अन्त तक लड़ते ही रददने का यद फल है कि आज्ञ स्पेन में १०० में ६० से भी ज्यादा पुरुष बिलकुल अपढ है। जद्दों विद्या ही हों, वहाँ ग्रार चम्त्कारो का नाम तक सुनने में नहों आसलकता। विद्या का फैछाव आदमी चैन से ही चैठते पर कर पाता है। हजारों वर्ष तक धर्मान्थ रहकर श्र शान्ति रूपी वृक्ष के जड से उस्लाड ग्रैेर फेक कर, इस देश ने अपनो सब सम्रद्धि गंवादी प्रेर अब अपनी प्रचण्ड मूर्खता के बुरे परिणामें से अपने स्वत्वों के परिमित, शासन प्रथा का अज्ञक्नत, धरम के निददे- यता मालिन्य, विद्या के स्वत्प श्रेर व्यवसाय फे निबेल देखकर इसे सूमी है कि हमें भी ससार में शक्तिमान्‌ बनना चादिए, नहों ते। विकास सिद्धान्त के अनुकूल एक न एक दिन जददी ही दुनिया से मारे भैर कुचिले जाकर मिट जाना पडेगा--यहाँ तक कि नाम निशान भी न घाकी रहेगा। दम भारतवासिये के लिए स्पेन का इतिहास एक बढिया उदाहरण दै। क्या हमारे हिन्दू घेर मुखत्मान भाई, सनातनथर्मी ग्रौर आये समाजी, ईसाई और जैनो इत्यादि इस इतिद्ास के पढ कर भी धर्म के नाम से डाई छडने ग्रौर शा््राथ करने का




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