चिकित्सा बढ़ते चरण गिरते स्तर | Chikitsa Badhate Charan Girate Star

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Chikitsa Badhate Charan Girate Star by श्रीगोपाल काबरा - Shrigopal Kabara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दवाग्रों का दुरुपयोग क्लोरोमाईसीटीन व भ्रन्य दवाओ्रों के आन में एक खास फर्क मह है कि झन्य दवाइयों का कुप्रभाव, अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से होता है जबकि कलो रो- माईसीटीन का क्ुप्रभाव कम खुराक से ही हो जाता है। कक्‍्लोरोमाईसीटीन द्वारा एप्लास्टिक एनीमिया श्रधिकतर व्यक्तिगत असहिष्णुता के कारण होता है जिसे हाई- परसेन्सेटिव रिएक्शन या अत्तिसुग्राहिता कहते है 1 संतोकवा दुलेभजी अस्पताल में चार मरीजों में से तीन को बलोरोमाईसीटीन की विभिन्न दवाएं दी गई थी । अन्य अस्पताल के मरीजों के बारे में मृत्यु के कारण की पूर्ण जानकारी नही मिल सकी । क्लोौरोमाईसीटीन बहुत ही शक्तिशाली एवं कारगर रोगाणु नाशक दवा है । इसका प्रचलन ठाईफाइड (मियादी बुखार) मे अचूक जीवन रक्षक दवा के रूप में शुरू हुआ, कारण तब इस बीमारी के रोगाणुओ के खिलाफ अन्य कोई श्रौपधि नही थी । लेकिस यह अन्य अनेक रोगाणुओं के खिलाफ भी उतनी ही प्रभावशाली है अतः इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के संक्रामक शोगों मे होते लगा है । रोगाणु कोई भी हो, थहू भ्रसर ती करेगी ही, अतः चिकित्सक इसका प्रयोग विना विचार किए और सोचे समझे करते हैं और इसके घातक कुप्रभाव के बारे मे नही सोचते | अन्य झौषधियों के मुकाबले काफी सस्ती होने के कारण गरीब तबके के लोगों मे तो इसका प्रयोग श्न्‍्धाधु ध होता है । क्यो करते है चिकित्सक ऐसा जबकि क्लोरोमाईसीटीन एन्टीवायोटिक देने के लिए उनकी शिक्षा निम्न भ्रकार है-- यह दवा ऐसे किसी रोगी को नहीं दी जानी चाहिये जिसका पुरुता निदान नही हो गया हो । पुरुता निदान का एक आवश्यक श्रंग है रोगाणुओं की पहचाव ओर उन पर क्लोरोमाईसीटीन व अन्य एन्टीबायोटिक्स का प्रभाव परीक्षण 1 केवल लक्षणों के आधार पर यह दवा नही दी जानी चाहिये । जिस रोग या संक्रमण का अन्य किसी दवा से इलाज संभव हो उसमे यह दवा नही दी जानी चाहिये 1 यह दावा बार-बार देना खतरनाक है । यह दवा कैवल अस्पताल में भरती रोगियों को ही दी जानी चाहिये ! जिसे दवा दो जाए उसकी हर 48 भण्टे में एक वार रक्त परीक्षा अवश्य होनी चाहिये । रक्त परीक्षण पर दवा के विषाक्त असर के पहली वार श्रकट होते ही दवा बन्द कर देनी चाहिये ।




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