नागरीप्रचारिणी पत्रिका भाग - 1 | Nagari Pracharini Patrika Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
544
श्रेणी :
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No Information available about महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डूंगरपुर राज्य की स्थापना। २१
“उस समय बागड़ मे बड़ौदे के राजा चारसीमलक ( डूंगरपुर
की ख्यात मे 'चैरसीमल? नाम है ) था जिसके अधीन ५०० भोमिये
थे। उसके यहां एक डोम रहता था जिसकी ख्री को उसने अपनी पास-
वान ( उपपत्नी ) बना रक्खा था । वह रात को उस डोम से गवाया
क्रता था और वह भाग न जावे इसके लिये उस पर पहरा नियत किया
गया था। एक दिन मौका पाकर वह बड़ौदे से भागकर रावल समतसी
के पास पहाड़ मे पहुँचा श्रौर उसने उसे चारसी पर हमला कर बड़ौदा
लेने को उद्यत किया । समतसी नए राज्य फी तलाश मे ही था जिससे
उसने उसके कथन को स्वीकार कर लिया | फिर उससे वहां का हाल
मालूम कर वह ५०० सवारों फे साथ अहाड़ से चढ़ा श्लौर अचानक
बड़ौदे जा पहुँचा । वहां पर घोड़ों को छोड़कर उसने श्रपनी सेना के
दे दल बनाए। एक दल को उसने झमपने पास रक्खा और दूसरे को
उस डोम के साथ चौारसी के निवास-स्थान पर. भेजा। उन्होंने वहां
जाकर उसके दरवाज़े फे पहरेवालों फो मार डाला जिसके बाद उन्होंने
महल मे पहुँचकर चारसी को भी मार सिया । इस तरह समतसी ने
. बड़ौदे पर अधिकार कर लिया और धीमे धीमे सारा घागड़ देश भी
अपने अधीन कर लिया * |?!
ऊपर उद्धृत किए हुए पॉच इतिहासलेखकों के श्रवतरणों
मे से--
(१) 'राजप्रशर्ति महाकाव्य? का ' कर्ता मेवाड़ के रावल समरसिंह
'के पुत्र करण के बड़े बेटे माहप का डूंगरपुर का राज्य कायम करना प्रकट
करता है पर उसके लिये कोई संबत् नहीं देता ।
(२) 'बीरविनेद” से समरसिंह के पीछे उसके पुत्र रत्नसिंह फा
राजा होना तथा वि० सं० १३६० (ई० स० १३०३ ) में अल्लाउद्दीन
ख़िलजी के चित्तौड़ फे हमले में उसका मारा जाना लिखकर रलसिंह के
पुत्र करणसिंह के बड़े बेटे माहप का डूंगरपुर का राज्य लेना बतलाया
ज्क्ज़््म्ज्आऊाणञजएण---_-_-_+_+_
सीजन नम
*, मुहणोत नेणसी की ख्यात (हस्तलिखित), पत्र १६।
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