द्वरागमन इष्टशोधन | Dwaragaman Ishtshodhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाबू काशीप्रसाद - Babu Kashiprasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)] अल भ्केा
द््छ शांघन
#_ अटल
खयवरस्थों । !!
छ ० पल 0 लीक. थ्ज हु ६५2३ मण्सेते छल 5 + ईद ञ न
नवादा के श्रकाण से भो लग्न के. नश्सेंते सः अदरशाकांत्तन्में
दको णमसेवा” इससे भी रूमन अशुद्ध हैं । इस दिन का दिनमान
२६। १७ इस पर छाद्ध ग्रुलिक्रेष्द १९। ५। ९ १७ ग़ंंलिक लग्न
१ २१ यहां गुलिक लग्न और ग्ुलिकांश दोनों से त्रिकोण से
लेग्नं के न होने से लग्न अद्छ है।
गर्भेष्ट शोधन करने के लिये सूथ ९ १। २७ २१ लग्न २|
. ३। ५० ४७ चन्द्रमा ७॥ १० ४७ ३२० इन पर से गे दिन
जानने फी रीति ।
जन्मोत्य व्यड्रेनदुलग घटा १३ थी ता १६ शुयुक्ता
श्रवरे! प्रयुक्ताः २४६ स्पाज्जन्मगभान्तवासरोघस्वनेन
हीनो जनिसंभवोगणः | *
इसके अनुंसार गर्भाहृगंण २९० ११ निकला तिथि २६४
' निकली इस परसे से १९७९ वेदाख शुक्ल ३ रविवार को गम
. दिन निकला परन्तु यह अहगेण मध्यम माने से निकलंता
है और शोधन किया स्पष्द मान से होती है स्पष्डमान सें
जो गर्मेष्ट का नियम लिखा हे उसका रविवार को संभव नहीं
इसंसे चतुर्थी सोमवार को गे दिन कल्पना किया | गेंमेंष्ट
शझोधन का निषम यह है कि जन्त्र कालिक छग्न गभे का चन्द्र
और जन्म कालिक चन्द्रमा गंसे का लग्नं होता है । इस कारण
- जब लग्न मिधुन है तो सिथुन का चम्द्रमा होना चाहिये तथा
जन्म चन्द्र धनूरादि ५ है इसलिये लग्न गर्भ का धसु होना
चाहिये । इस विचार से जन्मचन्द्रको गे लग्न का लग्न
मानकर प्रातः कालीनहीं सूध पर से. गरभेष्द निकाला गया
सृर्थे ५ १७ ११ ४९ लग्न <| १० ४७। ३०
; 6 0 ०
अईभोग्यस्तने/भुक्त कालानितो ।
कर (९ 8 9
युक्तमध्योदयोमीश्कालों मवेतू | -.. .
'0स ते के २२३७५
इस रीति से इष्द काल ४२। ३२६४०-ई८। ४६ दृछ-पर सपंछ
कप
User Reviews
No Reviews | Add Yours...