जवाहर किरणावली | Jawahar Kirnawali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जवाहर किरणावली-- [७
ताओ का अचनीय, असुरगणो का पूजनीय और अनेक त्रतधारियो
द्वारा स्वीकार किया हुआ, संसार में सारभूत (निचोड़) है। सत्य
ज्ञोभ करने के योग्य न होने से महासमुद्र से भी बढ़कर गम्भीर,
विचलित न होने के कारण मेरु पवेत से भी अधिक स्थिर, सन्ताप को
दूर करने के कारण चन्द्र मएडल से भी अधिक सौम्य, वस्तु स्वरूप
का यथार्थ प्रकाशक होने से सूर्य मण्डल से मी अधिक तेजस्वी, अति-
निर्दोप होने के कारण आकाशमण्डल से भी अधिक स्वच्छ, और
सत्य-प्रेमियों के हृदय को वश में रखने के कारण गन्धमादन-प्व॑त
से भी अधिक सुगन्धित हू | '
सत्य के विषय में भत् हरि ने कहा है--
' सत्य चेत्तपस्रा च कि ९!
यदि सत्य विद्यमान है तो तप करे तो क्यां, और न करे तो
क्या ? अथात् तप से भी सत्य का प्रभाव अधिक है
चाणक्य ने अपनी नीति मे कहा हैः--
धक्तिमिच्छसि चेत्तात, विषयान्विषवत्त्यज |
त्माजबदयाशौच, सत्य प्रीयूषवत्पिव ॥
है भाई, यदि आप मुक्ति के इच्छुक हैं, तो विषयों को विष
के समान छोड़कर, सहन-शीलता, सरलता, दया, हृदय की पविन्नता
और सत्य को अस्त की भाँति पिो |!
सत्य की महिमा बतलाते हुए कहा गया है;--
सत्येनाग्निर्भवेच्छीतो, आगाघ॑ पत्तेज्म्वु सत्यंतः ।
नासिश्छिनत्ति सत्पेन, सत्याद्रज्ज्पते फणी॥
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