छन्दोग्य उपनिषद | Chhandogya Upanishad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
346
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३)
ते लि रे प्रवाक-एए
| शक्वरीसामफा छोकों से सम्बन्ध और हि
उसके ज्ञान का फट +«>१७--७९
! रेचतीसाम का पशुओं से सस्वन्ध
और उसके ज्ञान का फल ज-हैंद--<०
यशज्चायशिय साम का आगों से सम्बन्ध और
उसके शान कानफल +« १९५०-4०
!' राजन साम का देवताओं से सम्बन्ध
, और उसके ज्ञान का फल >> २०-६१
* ध्रयाविद्याआदि' फी हाष्टि स साम की उपासना
भौर उसका फल ५ »«०२१--८९
साम में कौन स्वर भ्रहण के योग्य
/ और फौन त्याग के योग्य हे >+२९--८३
साम गाते समय मन में क्या संकल्प दोनचाहिये २०-८४
बर्णो फे उच्चारण की शिक्षा आदि «२२१०-4५
| धर्म के तीन बड़ेस्कस्घों का वर्णन
« और अमखतस्व के लिये झफार की उपासना >>रे३--4७
साम य्षों में तीनो सबने द्वारा यज़माम को
तीनों छोक फे देवता् से फल की प्राप्त »« र२४--4८
तासरा भ्रपाठक
जपासनाविशिष्ट फर्मा फा मिन्नर फल
शौर इसरद्रस्य के जानने का फल ० ैहै5११-९१
बनतरैरेूञ१०*६
शीयनी से ब्रह्म की उपासना
पांच द्वारपालं के शान पूर्वक हृद्यस्थ
बढ़ा की उपासना और फल «१३--११०
*सचे खल्विदत्नह्म'! से आरस्मकरके,
शाण्डिल्य का वह प्रसिद्ध उपदेश जो
भल्ञप्य के अपने इढ़ विश्वास पे चर्म
प्राप्ति फा पूरा साधन चलाता है
घीर और दीघायु पुत्र की प्राप्ति के साधन-
विराट्कोश का विज्ञान
ब्-न्हंप--ह१8
>+११--११६
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