अक्षरों का विद्रोह | Patrakshao Ka Vidaroh

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Book Image : अक्षरों का विद्रोह  - Patrakshao Ka Vidaroh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक ईमानदार प्रणय-गीत यहा आओ और रख दो मेरे होठो पर अपने दहकते गुलाब, भर दो मेरी वाहो में अपनी देह दे अगारे, घधका दो मेरी धमनियों म ज्वालामुखी लपटें, मेरी नम-नस में डाल दा तेजाब, अपनी जुतफा से कहो- मुझे डस ले सौ बार, आज की रात ता हो जाने दा मेरी मौत, बनने दो चाद का इस हसीन मौत का गवाह मेरे खून को खून की प्यास है मेरी देह्‌ को देह्‌ की भूख है 1 अर # 5.2» 1/




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