संगठन प्रशासक एवं पर्यवेक्षण | Sangathan Prashasak Evam Paryavekshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ममस्त ईकाइयों एवं कार्यकताओों के एक साथ मिलकर, पारस्परिक तालमेत से कार्य करने
पर समुदाय द्वारा निर्धारित लक्ष्य एवं उद्देश्यों को विकास की दिशा मिलती है और
बांछित फलों को प्राप्ति होती है। अतः यह जरूरी है कि संगठन के समस्त घटक चाहे
वे छोटे हों, अथवा बड़े, एक साथ मिल-्जुल कर कार्य करें, क्योकि संगठन में उसके
प्रत्येक घटक श्रथवा इकाई की अ्रपनी विशिष्ठता एव उपादेयता है। इसी सन्दर्भ मे
, भंग्र जी की यह कहावत प्रसिद्ध है-: ला
[छा 27०9 ०० छबाण,
या|ंड हशाईड.. ० इथातै;
३1816. [2९ ग्रांहधाए. ०0४81,
#ात. प्रा6ढ. छोटबराश्बा। 1810.
संगठन की छीटी से छोटी, इकाई की उपादेयता एवं महत्ता को संगठन के उद्देश्य
प्राप्ति एवं कार्य क्र संचालन में उसकी साथंकता की पुष्टि निम्नांकित कविता में भली
प्रकार समभी जा सकती है :-
पता पाल छडा0। 0 4. गरं, 6 आ06 ७४६ 108४;
करता पाल एव 6 8 औ100०, 6 1052 9७४७5 108;
झत7 6 छबग 0193 1056, हाट उांठंदा छ७$ 100४;
एक हाल शव 8 11060 ह6 08116 छ5$ 108,
फ्0' धाह एबगा। ठी 8 221०) (४० (18000 9३६ 109,
। इस प्रकार संगठन वही है जिसकी कार्य प्रसाली में अनुशासन हो, पारस्परिक
तालमेल हो, मितव्ययिता हो, भौर कुशल प्रवन्ध, प्रशासन सहित जागरूक नेतृत्व का
समुचित सगम हो । ्
संगठन के कार्य एवं उद्देश्य -
संगठन विसों' भी स्तर अथवा प्रकार का क्यों न हो 1 बह प्रपने लक्ष्य की
भाजि हेतु निर्धारित योजना एवं पार्यफ्रमानुमार निरत्तर सजग एएं प्रपत्तशील रहता है 1
यदि संगठन के आयोजक, य्प्रवस्थापक अथवा कार्यकर्ता इसमें जागरूक नहीं हैं तो ध्ष॑गठन
के वायों में दिन पर दिन विराबट शभने लगती है। इसी तथ्य को दृप्टिगत रखते हुए
संगठन के दुछ उद्दे श्य होते है जिनको ध्यान में रखना संगठत के विकास एबं प्रगति को
! दृष्टि से झ्ावश्यक है। संगठन के काये एवं उद्देश्य निम्नाकित है :--
1. निर्धारित लद्षय एवं उद्देश्यों को उपलब्धि करना
प्रस्थेक संगव्व के अपने गुद्धेक निर्धारित लदय एबं उद्दे श्य होते हैं जिनको प्राधि
१ हेतु उसका जन्म होता है। अतः संगठन के पदाधिकारियों, कार्य कताशरों को इस बात के
4 लिए सजग रहना जरूरी है कि संगठन के हिर्घारित सथ्य किस स्वर तक प्राप्त हो रहे हैं ?
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