कवि श्री माला उर्दू | Kavi Shri Mala Urdu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ झब उनके छिये यह सम्भव मे रह यया था छि पूर्षबत्‌ अपने अपने स्पानोंपर रह * उसी प्रकार चीदस बदिठा सकते बे शिस प्रकार ममीतर बिताते का रहे ने। म शामरोंकौ श॒ष्टि मास पासके उन स्थानोंकी ओए यमी जदकि छासक थोड़ी श साहिरियक रुचि एकत ये। इन स्थागोर्मे जहाँ दिस्सी और छरनऊके शायर घन १८५७ ई ने ब पहुँचे विघ्रेष कूपस जिसका स्केल क्षिया जा सकता है बे इस प्रवार ई “८ फद्शाबाद अजीमाबाद मुश्तिदाबाद टाश टॉक भंगरोकू भोपा रामपुर बौर हैदराबाद! इत स्पानोंमें सर्वाधिक महत्व रामपुर और हैरराजादका है अस्प स्मा्ोकी अपेश्ना रामपुर उर्पू घायर मछ्िक संक्यामें एकरश्ित हु इसका एक कारण तो यह था कि रामपुर दिसखी भोर रश्वतऊक बीच है। पूसरा का महू था कि रामपुरके घासकॉंकों स्वयं री णायरीसे रुचि थी सौर बे प्रायर्रों ५ बिड़ानोंड्ों भपता लौकर से समप्तकर बरावरीका स्यगहार कएते ये। सवाब युस्‌ जसीयाँ स्वर्य उर्र बौर फारधीके प्रायर पे । इसी प्रकार सबाब यूसुफपल्ली क॑ ब उसके पुत्र नवाब नल्‍्देमसीर्खा भी कार्यरों दया साहित्यिकोंका बड़ा सम्मान करत ' इसका परिषाम मह हुमा कि रामपुरमें शिश्सी मौर रूथतऊके शायरोंग्रा एक अ' समुद्दाप एकजित हो मया लौर इस प्रक्तार रामपुर दिप्शी और सलनऊका स' सथक बल ग्रया। यों जैसा कि कहा था चुका हैं कि रामपुरमें दिस्‍्खी भौर रूसनऊसे अ हुए पापरोंकी मच्छौ संस्पा एफ्जित हो एपौ बौ पर इनमेंसे अप्िक क्याति प्रा शामर इप धार है -- मौर मुजप्फर झुली अध्ौर शेण इमपाद अली बहेर मुन्पी अम् अहमद अमीर मिर्मादां दाव चअताक हमलोम कांप हुय *घादिक्त दादाँ भादि। इनमें मुन्णी लमौर मइमद जमीर मौनाईअज प़िर्गाजों दापषा सर्वाधिक महत्व है। अमौर सत्‌ १८२८ ई में शपीररीस हैदर के राम्य कोछूमें रूखगः पैदा हुए। ये झवतऊके प्रसिद सुस्छिम सम्त मशरूम छाह मीना मिसष्रौ| समा कृतनउऊसमें हँ--हे बंधज है। इपौपारणश भौताई कहरकामे है। वास्पढामससे इसको शासरौका सौछ पैदा हो सया पा। इसझो समय भो बह है जब रुशनगऊ: बादाबरभ शायरीस भरा हुआ ब। सखनतऊसे इस प्रशागढ़े बातागरणने ध्रभी सीलाईको भी प्रघाडित किपा और बह भी थोड़े ही घमपके शप्यासस एक मच्छे घाय' झरूपमें प्रसिद्ध हो पये। सन्‌ १८५२६ में इसकी सपाति तस्वास्ीन शासक्र मद बाजिइ अछौके दरबारमें पहुँची। राम्पक्री ओोरसे इसको शुएाया मया तपा इन क्‌. इ -२




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