मृत्यु - भय | Mrityu - Bhay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आंदालन / 25
वह भटटी तक आयी । भट्टी के चार पाच जमीदार चारपाई पर बढे
ताथ पीट रहे थे। बह उनसे कहने लगी--मेरी भटटी के ऊपर तक यह
कपास किसने गिरायी है ?
+-हमने गरिरायी है। कपास बिक जायगी तो यह जगह खाली हो
जायेगी ।
--इतने दिन तक हम कया खायेंगे ? मरे बोमार बच्चे के लिए दवाई
आज कैसे आयेगी ?
उनको ऊचा बोलते देखकर सेठ आ गया । क्सिना का आढत्तिया'। वह
उसे डाटते हुए बोला--ज्यादा करोगी तो कमंटी बाला को कहकर तरी
भटदृटी पर किराया लगवा देंगे । तेरे कौन से बाप की जगह है यह ?
सठ की बाते से वहू डर गयी । वह जानती थी कि सरकारी जगह पर
भटटी बनाना लोगा वी नजरो में गर-कानूनी है। इसलिए तो वह कभी- ।
कार कमेटी वाले वाबुआं को चने मुफ्त में भून देती थी।
वहू घर आ गयी । उसे उधार मा मुफ्त दवाई मिलन की आशा नहीं
थी। शाम रोटिया बनात वक्त उसने चूल्ह में पक्की इंट का खीरा गम करने
के लिए डाल दिया। रोटिया खा कर उसने गम खीरे को एक गोले 'खाइये
मे बाधा, भाप निकलने लगी। उसने भनिये यो एक फ्टे पुराने कबल से
ढापा तथा धीरे धीरे सेंक करने लगी । उसवे रूयाल म मनिय को सर्दी लगी
थी तथा सेंक देने से सर्दी टूट सकती थी 1
यह तरीका उसने अपने बाप स सी खा था और उसके बाप ने एक नीम-
हैकीम से । लेकिन मनिये को सिफ सर्दी ही नहीं थी, उसे कमजोरी भी था ।'
बीमारी ने धीरे घीरे उसके शरीर म गहरे तक जड़े जमा ली थी । उस कई
राता से बुखार आ रहा था 1 अब दो दिन से लगातार ताप चढ़ रहा था ।
इसलिए सेंक से मनिये का बुखार मही उतेरा। हा एवं बार थोडा-सा चन
पड़ गया और चहू सो गया।
मनिय को सुलाकर वह पडोस से से सूखी पराली माग लायी। इसने
दिन तो वह फ्टी रजाई पर पराली डालकर सान की बात टालती आयी
थी। सोचती थी नयी रूई ही डलवा लेगी लेक्नि आज उसकी उम्मीद दूटः
चुकी थी ।
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