काव्य मीमांसा | Kavya Mimansa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
364
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)-मीमांस
काव्य-मीमांसा
काव्य नाम रचनारा है और कवि, रचना करनेवालेका । ये दोनों शब्द अनादि वैदिय-
याछसे अपने इसी वास्तविक अर्थमें प्रयुक्त दोते आ रहे हैं! वेदोंमें ससारकी रचना चरनेबाले
सशका नाम षवि है--“कमिमेनीपी परिभूः स्वयम्मू? | उस खशकी सदा नवीन और
अमर रचनावा नाम काव्य है--पहय देवस्थ काव्य ने समार न जीयेति!। प्राचीम
कबियोंका उल्लेख करते हुए ब्रक्माको आदि कवि फद्दा गया है--एको5भून्नलिनात्, ततख
पुलिनात् , दस्सीक्तरचापर- ।
संसारका आदि अन्य ऋग्ेद उन्दोदद्ध काव्य है। साधारण काब्यम रोचफ्ता और
स्मगीयता छानेवाला तथा काब्यका ज॑ वनभ्त अल्कार भी उसमें है। वेदकी अनेक ऋणषाओर्मे
[,विप प्रवारयी उसम एँ, रूपक, अतिशयोत्ति, व्यतरिक आदि अश्पारोंका दर्शन होता है।
बासतवमें मापा या वाक्यतों झचिसर, सुखद और हृदयगम बनानेके लिए अलंरारकी आव-
इ्य्रता अनिवार्य है! अत अछूपारशासत्र भी वैदिफ अतएव अनादि है ।
रामायग, महाभारत एव पुराणेमें इस काव्य रखना शेलीका क्रमशः विकास हुआ है |
इसके अनन्तर पादिनि आदि ऋषियोंने जाम्मबती-विजय या पाताल विजय जैसे काब्योंवी
रचना पी ।
इस प्रबार इस दावयरचना-शैलीकों तीन भागेमें विभक्त क्या गया दै--१. प्रभुसग्मित-
घावय, २५ नमक वाक्य ओर ३, यास्तासम्मित-बायय । बेद, प्रशुसम्मित वाक्य हैं; जिनमें
शब्दपी प्रषलता है आर्पात् यद्ट राजावा आदेश है। इस क/देशमें किसी प्रकारव! तक्-वितर्क
नहीं दिया डा सपता और न उसके अरथरी आालेचना ही पी जा सफती है । इसे आँखे
मूँदवर मानना दी कर्तव्य है। दूसरे, इतिद्ास, पुराण आदिके वाबय, थ्र्थे-प्रधान होते हैं।
शिनमें शब्दोंपी ओर प्यान न देवर उनके तात्पर्यपा प्रदण किया घाता है। जैसे--मित्र
इपर-उधरफे अनेक ध्टाम्तों द्वारा पतंब्य या अप्तव्यवा उपदेश परता दै। अतः ये सुद्द-
सम्मित बागय हैं। तीसरे, पान्तातमित याबयमें शब्द और अर्थ दोनोंकी प्रधामता नहीं
होता, प्रस्युत उनपे द्वारा उपप्न सरस एवं विल््क्षण ध्वनि, हृदय पर अनिर्वेचनीय प्रभाव शड!ल्ती
है। छेसे--पमनीया पामिनी प्रिययविकों अपने हा माव आदिफे द्वारा सरसतासे बद्ीभूत
कर ऐेदी ऐ और झपनी बातें मनया ऐती है। उसी प्रषार यावय, सरस, पोमछ और पस्न््त
दददर्स थे दाग! निदएसी हुई प्वनिसे दृदयपो३ प्रभादित पस्ते ६ और अपनी दृदयप्रादिणी
बदाउर्म में नीयस मीति छीयर फत्य'कत्थद उपदेशणो एचशाण मोजिये अज्जमे नतनत कैफ सै +
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