बचाओ मुझे डॉक्टरों से बचाओ | Bachao Mujhe Doctoron Se Bachao

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Bachao Mujhe Doctoron Se Bachao by शंकर पुणतांबेकर - Shankar Punatambekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बचाओ, मुझे । १५ बताओ जबान*“अब छाती “हाँ, अब पीठ । लो, यह थर्मा- मीटर लो । ““हां, वापस दो । “अब ब्जड-प्रेशर देखे । (देखती है। ) किशोर - है न सीरियस मेरी हातत ? शांति - घबराओ नही किशोर, सब कुछ ठीक हो जायेगा । वास्तव में हम लोगों के लिए यह कितनी शर्म की बात है कि हमारे यहाँ भाकर कोई बीमार पड जाए । किशोर - थीमारी तो आपके मोहल्ले से गुजरते भी भय खाती है । शांति - मुझे लज्जित न करो किशोर | तुम जल्दी हो अच्छे हो जाओगे । विश्वास मानो । किशोर - हाँ, क्यो नही भच्छा हो जाऊंगा । जब _ चार-चार डॉब्टर मेरा इलाज कर रहे हैं। अच्छा हुआ इस समय मैं अपने धर स हुआ । शांति - क्यों ? किशीर - घर पर होता तो मैं अब तक कभी का मर चुका होता । शांति - यह कसी बात कर रहे हो किशोर तुम | किशोर - गलत नही कह रहा हूँ | वहाँ मैं चारचार डॉक्टरी को थोड़े ही बुला पाता । बुलाता सिर्फ एक । वह अकेला मेरी इस खतरनाक हालत के साथ फंसे जूझ पाता । शांति - तुम व्यर्थ घत्ररा रहे हो तृम्हारी बीमारी खतरनाक नहीं है । किशोर -- खतरनाक नही है तब भी कफ टेस्ट हो रहा है, स्टूल और यूरिन टेस्ट हो रहा है । चारचार वार ब्लड-प्रेशर देखा जा रहा है। कल शायद 'एक्स-रे भी हो जाएं। इधर इजवशन पर इंजक्शन दुसे' जा रहे हैं। भौलियाँ भौर डोसेज का तो शुमार नही ५ इतने पर भी कहती हो बीमारी खतरनाक नही है | यदि होती तो जरूर मुझे ऑक्सीजन पर रखने की नौबत जाजाती 1 नहीं ? शांति) एक बात




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