बचाओ मुझे डॉक्टरों से बचाओ | Bachao Mujhe Doctoron Se Bachao
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शंकर पुणतांबेकर - Shankar Punatambekar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बचाओ, मुझे । १५
बताओ जबान*“अब छाती “हाँ, अब पीठ । लो, यह थर्मा-
मीटर लो । ““हां, वापस दो । “अब ब्जड-प्रेशर देखे ।
(देखती है। )
किशोर - है न सीरियस मेरी हातत ?
शांति - घबराओ नही किशोर, सब कुछ ठीक हो जायेगा । वास्तव
में हम लोगों के लिए यह कितनी शर्म की बात है कि हमारे
यहाँ भाकर कोई बीमार पड जाए ।
किशोर - थीमारी तो आपके मोहल्ले से गुजरते भी भय खाती है ।
शांति - मुझे लज्जित न करो किशोर | तुम जल्दी हो अच्छे हो
जाओगे । विश्वास मानो ।
किशोर - हाँ, क्यो नही भच्छा हो जाऊंगा । जब _ चार-चार डॉब्टर
मेरा इलाज कर रहे हैं। अच्छा हुआ इस समय मैं अपने
धर स हुआ ।
शांति - क्यों ?
किशीर - घर पर होता तो मैं अब तक कभी का मर चुका होता ।
शांति - यह कसी बात कर रहे हो किशोर तुम |
किशोर - गलत नही कह रहा हूँ | वहाँ मैं चारचार डॉक्टरी को थोड़े
ही बुला पाता । बुलाता सिर्फ एक । वह अकेला मेरी इस
खतरनाक हालत के साथ फंसे जूझ पाता ।
शांति - तुम व्यर्थ घत्ररा रहे हो तृम्हारी बीमारी खतरनाक नहीं है ।
किशोर -- खतरनाक नही है तब भी कफ टेस्ट हो रहा है, स्टूल और
यूरिन टेस्ट हो रहा है । चारचार वार ब्लड-प्रेशर देखा जा
रहा है। कल शायद 'एक्स-रे भी हो जाएं। इधर
इजवशन पर इंजक्शन दुसे' जा रहे हैं। भौलियाँ भौर
डोसेज का तो शुमार नही ५ इतने पर भी कहती हो बीमारी
खतरनाक नही है | यदि होती तो जरूर मुझे ऑक्सीजन
पर रखने की नौबत जाजाती 1 नहीं ? शांति) एक बात
User Reviews
No Reviews | Add Yours...