योगवासिष्ठांक | Yogawasishthank

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Yogawasishthank by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दुर्गति-नाशिनि दुर्गा जय जय, काल-विनाशिनि काली जय जय | उम्रा रमा ब्रक्षाणी जय जय, राधा सीता रुक्मिणि जय जय ॥ साम्ब सदाशिव, साम्व सदाशिव, साम्ब सदाशिव, जय शंकर | हर हर शंकर दुखहर सुखकर अघ-तम-हर हर हर शंकर ॥ हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे ऋृष्ण हरे कृष्ण ऋष्ण कृष्ण हरे हरे ॥ जय-जय दुर्गा, जय मा तारा । जय गणेश, जय शुम-आगारा ॥ जयति शिवा-शिव जानकि-राम । गोरी-शंकर सीता-राम ॥ जय रघुनन्दन जय सिया-राम | ब्रज-गोपी-प्रिय राधेश्याम ॥ रुपति राघव राजा राम | पतितपावन सीताराम ॥ सं० २०५० द्वितीय संस्करण ५,००० मूल्य--पैंसठ रुपये कोई सजन विज्ञापन भेजनेका कष्ट न उठावें । कल्याणमें वाहरके विज्ञापन नहीं छपते | समालेचनाथ्थ पुस्तकें कृपया न भेजें । कल्याणमें समालोचनाका स्तम्भ नहीं दे | जय पावक रवि चन्द्र जयति जय । सत्‌-चित्‌-आनंँद भूमा जय जय ॥ जय जय विश्वरूप हरि जय | जय हर अखिलात्मन्‌ जय जय ॥ जय विराट जय जगत्पते | गौरीपति जय रमापते ॥ सम्पादक--हनुमानप्रसाद पोद्दार, चिम्मनलाल गोस्वामी, एम० ए०, शास्त्री केशोराम अग्नवालद्वारा गोविन्द्भवन-कार्यालयके लिये गीताप्रेस, गोरखपुरसे मुद्रित तथा प्रकाशि




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