प्राकृत - विमर्श | Prakrit - Vimarsh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : प्राकृत - विमर्श  - Prakrit - Vimarsh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. सरयू प्रसाद अग्रवाल - Dr. Sarayu Prasad Agrawal

Add Infomation About. Dr. Sarayu Prasad Agrawal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दो बब्द लखनऊ रू ६-५३ जब में लखनऊ विश्वविद्यालय फा वाइस-चाँघलर था तव एब० ए० क्लास के हिन्दो के विद्यार्थियों को प्राकृत भाषा पढ़ाया करता था। विपय के प्रध्ययन में विद्याथियो को बडो श्रसुविधा होती थी फ्योक्ति फोई भ्रच्छी पादप-पुस्तक न थी | डावटर उलनर की क्रप्रेज़ी पुस्तक सीए 110010९४00० ॥० ९:80 श्रप्राप्प हो चुकी थो । उत्तका भाषानुवाद भी नहीं मिलता था । भ्रत हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ ० सरयूप्रसाद भ्रप्नवाल के सम्मुख सेने यह सुझाव रखा कि वहू इस विषय पर एक पुस्तक लिखें। उन्होने भरे प्रस्ताव को बहुत पसन्द किया और यह श्राशा दिलाई कि वह इस काम को हाथ में लेंगे! मुझे यह जान कर बडी भ्रसन्नता हुई कि उन्होने इस कमो को पूरा कर दिया है श्रीर उनरी पुस्तक विश्वविद्यालय को प्रोर से प्रकाशित हो गई है । डॉ० प्रग्रवाल ने बडे परिश्रम से इस ग्रन्थ फी रचना की है ॥ वह बचाई के पात्र है क्योकि उन्होने एक बडी कमी को पूरा किया है यत्र-तत्र श्रशृद्धियाँ रह गईं है । भ्ाशा हूँ कि दूसरे सस्करण में यह ठोक कर लो जायेगी । श्री आचाये मरेन्‍्द्र देव, दे एम्‌० ए०, एलू एल्‌० बी०, डी० लिटु० नरेन्द्र द्व्‌ उपउलपति, काशी विश्वविद्यालय




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now