वाल्मीकिय रामायणम बाल काण्डम | Valmiki Ramayana Balakanda

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। बास्मीकीय-रामायणम मनस्वी ' ज्ञानसम्पन्नः शुचिवीयसमन्वित+' । [१शउ १६] रक्षिता सवलोकस्य धमेस्प परिरक्षिता॥१७/ [११ १७पृ] स्वेवेदाड्विशेव” सवेशाखविशारद) ।* [१४पू (८ पृ] सर्वलोकप्रियः साधुरदीनात्मा बहुश्रुतः ॥१८॥ . [१५पू १८ उ] सवेदाइनुगतः सद्ठिः समुद्र इव सिन्धुमिः। [१५७ १९पू] स सत्यश्च” समझ्ैव सौम्यश्व पियदर्शन॥।१९॥ [१७पू १९उ] राम: * सब्बगुणोपेतश१ कौसल्या55ननन्‍्दवधन! । [१७उ २०प] समुद्र शव गाम्भीयें स्थेर्य च हिमवानिव ॥२०॥ [रै७पृ २०5] विष्णुना सहझ्षो वीर्ये सोमवत्मियद्शेनः' ' | [१७३ २१पू] कालाभिसहशः कोपे' क्षमया एयिवीसमः ॥२१॥ [९१<पू १. प्र--यशास्वी २. प्र--झ्लुचि७ेश्यः समाधिमान । व रूँछ प भ 2---झ्ुचिर्यर्थ ३. प--अतः परमधिकः पाठः-प्रजापक्षिसमः भ्रीमाण्दातारिपारसिदन ४७. प--अतः परमणधिकः पाठः--- स्वस्थ धर्मेस्य सर्वत्र स्वअनस्थ ल रक्षिता । ५. प्र--वेदवेदाजबि० । रा-सर्वदेदार्थवि० | ६. त ल 2--अठः परमाधिकः पाठ:--- सर्वध्षारतार्थंतत्वशो मातिमाज* प्रतिभागवान | प्र- सत्यवान सर्वसत्यक्षो भीतिमाण्‌ प्रतिआावयान | ७. आ रॉ -न्सभ्यश्य । ८ रा--सवदा ल। ९. थ्‌ त--स शुम्पसमरः सोम्यः स जैक: प्रियदर्शनः । छा स पर समर ११ 99. 99 89 प्र प-- स सत्य: स समः सोम्यः स चैकः प्रियदर्शनः | ट-- स सम्पश्य समः सतुत्य: सोम्यश्य प्रि० । १०. के ज रा 5---सौम्यः । ११. त--थैयें चाशुपमः सदा । रऊ-जैयें ल मधवातिव | १९. जरा त ढ़ प्र प भ “--ऊोे। क्षरा प-भीतियाव |




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