वाल्मीकिय रामायणम बाल काण्डम | Valmiki Ramayana Balakanda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
532
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)। बास्मीकीय-रामायणम
मनस्वी ' ज्ञानसम्पन्नः शुचिवीयसमन्वित+' । [१शउ
१६] रक्षिता सवलोकस्य धमेस्प परिरक्षिता॥१७/ [११
१७पृ] स्वेवेदाड्विशेव” सवेशाखविशारद) ।* [१४पू
(८ पृ] सर्वलोकप्रियः साधुरदीनात्मा बहुश्रुतः ॥१८॥ . [१५पू
१८ उ] सवेदाइनुगतः सद्ठिः समुद्र इव सिन्धुमिः। [१५७
१९पू] स सत्यश्च” समझ्ैव सौम्यश्व पियदर्शन॥।१९॥ [१७पू
१९उ] राम: * सब्बगुणोपेतश१ कौसल्या55ननन््दवधन! । [१७उ
२०प] समुद्र शव गाम्भीयें स्थेर्य च हिमवानिव ॥२०॥ [रै७पृ
२०5] विष्णुना सहझ्षो वीर्ये सोमवत्मियद्शेनः' ' | [१७३
२१पू] कालाभिसहशः कोपे' क्षमया एयिवीसमः ॥२१॥ [९१<पू
१. प्र--यशास्वी
२. प्र--झ्लुचि७ेश्यः समाधिमान । व रूँछ प भ 2---झ्ुचिर्यर्थ
३. प--अतः परमधिकः पाठः-प्रजापक्षिसमः भ्रीमाण्दातारिपारसिदन
४७. प--अतः परमणधिकः पाठः---
स्वस्थ धर्मेस्य सर्वत्र स्वअनस्थ ल रक्षिता ।
५. प्र--वेदवेदाजबि० । रा-सर्वदेदार्थवि० |
६. त ल 2--अठः परमाधिकः पाठ:---
सर्वध्षारतार्थंतत्वशो मातिमाज* प्रतिभागवान |
प्र- सत्यवान सर्वसत्यक्षो भीतिमाण् प्रतिआावयान |
७. आ रॉ -न्सभ्यश्य ।
८ रा--सवदा ल।
९. थ् त--स शुम्पसमरः सोम्यः स जैक: प्रियदर्शनः ।
छा स पर समर ११ 99. 99 89
प्र प-- स सत्य: स समः सोम्यः स चैकः प्रियदर्शनः |
ट-- स सम्पश्य समः सतुत्य: सोम्यश्य प्रि० ।
१०. के ज रा 5---सौम्यः ।
११. त--थैयें चाशुपमः सदा । रऊ-जैयें ल मधवातिव |
१९. जरा त ढ़ प्र प भ “--ऊोे।
क्षरा प-भीतियाव |
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