राही मासूम रज़ा | Rahi Masum Ranja
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
432
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मेरा गांव, गर लाग / २३
का यह बन देवायी । # मौजूद था इसलिए यह बात मुझे मालूम हो गयी 1
मर यह शायर आज भीन मालूम
ही--मुन्रा जौर गुरुया । तो शायर पहली चच्ती भी ने याद हम क्योकि
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तो उदृ बात है याजी शान के बाद लखनऊ की है क्यो. इसलिए क्मी-क्मार
बह्भी उदू बोल चनी है, मेयर हम लोग आज भी बल जवान बालत्े हैं जा
जवान अम्मा बोचा करती थी औरजा जवान नसीब बुआ के करती थी।
और जो जकन मता बुआ इंद्र और रेऊफ की थी 1 भोर जो जवान गगोती
मीर साहयान की है--यानी ३1 भरी छोटी भफ्सरी
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