फूल खिले काँटों में | Phool Khile Kanton Men
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
720 KB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पीड़ाओं का
तेल डाल कर
हम जलाते हैं
दीप हँसी के।
देदना के
रबरों में
हम गाते हैं
गीत खुशी के।
वे क्या समझेंगे
हमको
जो नहीं समझ सके
अपने की !
ये कोदियों में
घुट रहे हैं
हम फुटपाथों पर
जी रहे हैं अपनी मस्ती में।
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