जलता हुआ गुलाब | Jalata Huaa Gulab
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जलता हुआ गुलाव / 25
हरपाल ने सेंट्रल टेबल पर ट्रे रय दी। दो काँच के कपों में चाय
और एक बड़ी प्लेट में दालमोठ, विस्कुट और दीप के हाथों तसे हुए
पापड़ | भाषाजी चाय सिर्फ सुबह-साम हो लेते थे, वह भी सोंठ, तुलपी,
मुलटूठी, इलायची जैसी वीस चीजें डलवाकर 1 भाषाजी ऐसी घाय झो
'जन्तर मन्तर पीड़ा कटन्तर' कहते ये।
हृस्पाल ने भाषाजी की अन्तिम बात मुन ली थी। उसने चर्चा में
शामिल होते हुए कहा, “प्रोफ़ेसर दर्शनधिह ने बहा है कि चण्डीगढ़ का
नाम चण्डीगढ साहिय रख दो | लोग अमृतसर की जगह चण्डीगढ़ दर्शनों
के लिए जाया करेंगे। सिखो ने क्या सीमेट-कंत्नीट वे उस जंगल के लिए
कुर्वानियाँ दी हैं?”
चाय का प्याला अविनाश को देकर बुर्सी पर बैठते हुए उसने बहा,
“भाजी सेंटर पंजाब को बुछ भी सीधे से देना ही नहीं चाहता । लैंगुएज
के आधार पर राज्यों का गठन 55-56 में हुआ था लेकिन पंजादी सूवा
बनाया गया 66 में, वह भी लम्बी दौड-घूष के वाद । जब लंग्रुएज के
आधार पर आप सभी राज्य बना रहे हैं तो पजाब ने आपके कौन-से माह
मारे है जो इसे दस साल तक लटकाया जा रहा है ।
“राजीव-लोगोंवाल समझौते का क्या हाल हुआ ? आठ मद्दीनों वाद
भी सरकार दरियाई पानी का कोई सही हल लागू नहीं कर सकी 1
चण्डीगढ़ का कुछ नही । जोघपुर जेल में डाले गए कंदियों का कुछ नहीं
हुभा।
“यह सव इसलिए कि कहीं सिख यह न समझ लें कि सेंटर से
आसानी से कुछ मिल सकता है। हर जगह सौतेला सलूक किया जाता
है | हैरानी की बात देखिए कि वे लोग जो खाते पंजाब का हैं, पहनते
पंजाब का हैं, बोलते पंजादी हैं, मरदमशुमारी के वक्त अपनी मातृभाषा
लिखवाते हैं हिन्दी । पूछो कोई उनसे कि यदि आपको पजावी लिखवाते
हुए इतनी ही हेठी लगती है तो पजाब छोड़ क्यों नहीं देते ? वहाँ चले
जाओ जहाँ 'हमको तुमको' चलता है 1”
क्या फालतू की वहस ले बेठे हो ।” भाषाजी ने टोका ।
“नहीं मैं ठीक कह रहा हूँ । मैं सिफफ पंजाब के हिन्दुओं वी बाद
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