ओम अथर्ववेदीया बृहत्सर्वानुक्रमणिका | Om Atharvavedika Brihatsarvanukramnika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
282
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[२९ |
वेद के मंत्र समूह से ही तात्पय्य होता है। अतः तस्मयज्ञात् में
छुन्दांसि पद से अथवंबेद को जानना चाहिये । इस ऋचा में
छन्दांसि से अथर्व का अ्रहण करना स्पष्ट हे-ऋचः सामानि
छुन्दांसि पुराण यजुषा सह | उच्छिशजञजिरे सर्व दिवि देवा दिवि-
थ्रितः। अथ ११-६-२४ बृहदारणयक उपनिषद् मे भी यही बात
स्पष्ट की हे-यदिदं किश्वचोयजू “षि सामानि छुन्दा खि। १।२९। ५।
इन प्रमाणों से छुन्दांसि से चत॒र्थ अथवोड्धिरसी अश्रति का अहसण
स्पष्ट है ।
अथवेवेद का वन अन्य संहिता तथा
ब्राह्मण ग्रन्थों में ।
ऋग्भ्यः स्वाहा, यजुभ्येः स्वाहा, सामभ्यः स्वाहांगिरोभ्यः स्वाहा
वेदेभ्यः स्वाहा । तेत्तिरय संहिता ७ । ५। १११ २ । इसमें 'अगिरो-
भ्यः से अथर्व का अहण हे। मेद आहुतयों ह वा एता देवाजाम्
यद्थवोधश्चिरसः स य एवं विद्वानथवौद्धिरसो5हरहः स्वाध्यायमभी-
ते मेद आइुतिभिरेव तदेवास्तपेयति शतपथ ११1५।६। ७।
युवानः शोभना उपसमेता भवन्ति ताजुपदिशत्यथर्वाणोबेदः । ७।
युवतयः शोभना उप्रसमेता भवन्ति ता उपादिशत्यड्रिरसोवेद:” ८
शतपथ ब्रा० १३।४। ३। भेषज वा आथवर्वेणानि । पंचाविश
त्रा. *६। १० । २ । स यथादरैश्नाग्नेरभ्याहितस्य पृथग्धूमांवि-
निश्चरन्त्यवे वाउअरे5सस््य महतोभूतस्य निश्वासितमेतय्वडग्वेदो
यजुबंदः सामवेदा 5थवोज्धिरसः' श॒. ब्रा. १४।४।४। १० ऋचो
यजूँषि सामान्यथवॉगिरसः । तेत्तिरीय ब्रा० ३॥ १५। ८। २ ऋचः
यजूषि सामान्यथवांगि प्सः ताति० आर० ११ | ६, १० श्रतारेथर्वा-
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