धर्मवर्धन ग्रंथावली | Dharmvardhan Granthavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
472
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १२ 9)
जैन विद्वानों द्वारा छोक साहित्य का बड़ा उपकार हुआ
है। जहां उन्होंने अपनी रचनाओं के लिए छोककथाओं का
आधार लेकर बड़ी ही रोचक एवं शिक्षाप्रद सामग्री प्रस्तुत
की है, वहां उन्होंने छोकगीतों के क्षेत्र में भी विशेष कार्य
किया है। उन्होंने छोकगीतों की धुनों के आधार पर बहुतः
अधिक गीतों की रचना की है और साथ ही उनकी आधार-
भूत धुनों के गीतों की आद्य पंक्तिया भी अपनी रचनाओं के.
साथ छिख दी है। इस प्रकार हजारों प्राचीन छोकगीतों-
की आदर पक्तियां इन धर्म प्रचारक कवियों की कृपा से
सुरक्षित हो गई *। मुनि धर्बद्धन विरचित अनेक गीत:
भी इसी रूप में हे। उनके कुछ गीतों की घुने इस प्रकार-
है :--
१. मुरली वजाब जी आवो प्यारों कान्ह।
आज निहेंजो दीसे नाहलो |
फेसरियो हाली हल खड़े हो।
धण रा ढोछा |
ढाछ, सुबरदेरा गीत री ।
ढाढू, नणदलू री।
रे आंबा कोइलछ मोरी ।
हेस घड़यो रतने जड्यो खंपो ।
__६. कपूर हुईं अति ऊजलो रे ।
२ जन गुजर कवियो! भा० ३ स्र० २ मे रेसी प्राचीन 'देशियो'
अति विस्तृत सूची दी गई है, णो द्रष्टव्य है ।
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