अपराध और दण्ड | Aparadh Aur Dand

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Aparadh Aur Dand by दोस्तो वस्की - Dosto Vaski

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| मछ अपराध और दुबढ ज्जजजजजजजजल जज जज > जन्‍म >> सच तसस सच जल लड ल्‍अ ल्‍ सच मुझ में हिम्मत रही व गर्मोकि तुमने बहुत घुरा मादा दोता और तुम कर ही क्या सकते से | पूरे साइ घद्दी बाठ गाँव क्य प्रभात बिपय बना डुभा था । इस सब छा कार सार्फ़ा पीड्ोबता थी झिसने कि दुनिया का इर घर में बट जास किया जिएका परिश्याम पह निकस्ता कि व केदल् गाँव सें बरम्‌ छारे विड्ने में यद कहानी मराह्टर हो गई | मुझे बहुत भरा खगा छेकिन वृत्िपा मुझ से अधिक सहनशीक्ष थी, इद् दुबो है । “परनु परमाध्मा को कृपा से हमारे दुश्णों रा प्रस्त आया भी स्थि हिरेकछ्ोइ अपने भ्रावे में प्रामे भ्रौर इश्टोग पश्दाताप किपा और शावव दूशिया पर दरस खाकर मार्का पीट्रोइला के सामने बिरपरापी होम का किस्षिव प्रमाथ उप पद्च के रूप में रा झिसझो डसतो बोचे को घटता के पूथ मजबूर धोकर छ्िछा था ठपा जिसमें डसने स्वक्तिगव सफाई देन रुपा प्रम प़रिप्नण के क्लिपे श्ल्कार किया था । उसी दिल शाम को दिला देर किएे साफ पीद्ोदल| दतिया के मिर्षो- पता के सरृत खेक धोंद में हर घर पर राई । भौर इसके विचारों तप इचब' हार की अापश्सी परी प्संशा की श्ौर इसके शक्षाइ स्‍्वीड्रोगोसोब के सास स्लिछा धृतिया का पत्र इसछत हर पूक को बताया झौर पह़कर सुलामा। ५त्द व्‌ मिया के पास कहें परिदारों से पढ़ाने के विमस्दस झात क्रो जिल्दें ऊि इस इब्फार कर दिपा' इस प्रबछे परिणाम ख्वक्ष्य थो परिगबतन इसारे साम्प में भ्राया मैं हुस्दे छिए रही हूं । “सवाल रहे प्यारे रोडिया | सुद इसफ्रे पास पूक प्रस्ताद शिदाइ का) शापा झिसे रुसने स्दीकाए कर स्षिया । मैं ल्ातती हू कि पह सब दिये पुम्दारी राप छिये इ ब्रा पर मुझे विश्वास है कि तुस इससे छुए सही होगे क्‍योंकि सुम्दें छिफ़कर इत्तर की प्रतोक्षा करता हमारे प्लिये भ्रसंसब था ) पद स्य इस प्रढार ह भरा । बह पीरर पीटोडिच्र छूशित परिपद्‌ का सदृक् है तवा गुरका मार्दा का रिश्तेदार सो है। सारा छे द्वारा ही इसमे इस से पहचात करते की इक्दा प्रगट की । इमसे डसडो लिमस्थित किया, डसने यहाँ कॉफ़ो पी और दुघरे दित बदो लफ़तापूवक इसने अपना प्रस्ताय रखा और शीम ही मिश्याध्मक उत्तर माँता बह अद सेंट पोस्सर्ग आरहा है झौर प्याषारी होने के बाते




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