रसायन - तत्त्वों के देश में भ्रमण भाग - 1 | Rasayan Tatvon Ke Desh Men Bhraman Bhag - 1

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Book Image : रसायन - तत्त्वों के देश में भ्रमण भाग - 1  - Rasayan Tatvon Ke Desh Men Bhraman Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[21 प्राधुनिक तकनीक, साधारएतः कठिनवा से गलने वाले यौगिकों के प्रति सजीव भ्राकर्षण उपस्थित करती है ! यह समझना कठिन नहीं है कि क्‍यों वह ऐसा करती है । तकनीकी उन्नति के लिए, काम करते वाली क्रियाप्रों के ताप- मानीय झ्तरी को ऊंचा करने के झदम्य प्रयत्न स्वाभाविक हैं । किन्तु त'पर्मातिक सीढी की गुलाबी मिराज-वरत्‌ ऊचाइयों पर चढ़ने वाला प्रत्येक कदम बड़ी कठि- नाईयों से भरा होता है। बार बार आपको इस जटिल समस्या का मुकाबला करना पड़ता है। नए प्रकार के ऐसे ईघनो का निर्माण करता जो वेशुमार ऊष्मा दे सर्क और साथ ही ऐसे पदार्थ तैयार करना जो न सही जाने वाली ऊंची गर्मी की बरदात्त कर सके । प्राधुनिक तकनीक की अग्रतम शाखायें--जेट-इन्जिन सम्बन्धी, राकेट सम्बन्धी, परमाणु सम्बन्धी, तथा भ्रन्य-्प्रग्ति सम्बन्धी क्रियाझ्ों पर काबू पाने की सफलतः्प्रों पर श्राघारित थी । भौर झरित के विकराल मुख के सम्मुख्त कैदल विशेष अ्रकाबनिक योगिक ही डटठ सकते हैं। तकनीक भी अपने विकास के मार्ग को ताप सम्बन्धी रुकावटो से प्रवरुद्ध देख कर भ्रकावेनिक रसायन के दरवाजे खटखटा रही थी । किसी दूर भ्रज्ञात समय से मानव लकड़ी व कोयला जलाकर प्रोर बाद में फिरोसिन (मिट्टी का तेल) वेन्जीन का काला तेल, प्रकृति से प्राप्त गंस जला कर ऊध्मा प्राप्त करता आया है। इस प्रकार इन्धन का इतिहास साधारणतः केवल कुछ हाइड्रोकाबेन पदार्थों से परिचित था ॥ किन्तु भव बीसवी शताब्दी का नभमण्डल झागे निकले हुए घृष्ट धड़ों एव पीछे लगे पत्ननों के सहित दायुयानो का सुपरिवित घर बन गया है । प्रव ककरीट के बने हुए प्लेटफार्मों से मरजता हुग्रा, एव अग्नि की पूछ दोड़ता हुप्रा राकेट विशाल ऊचाईयों को उड़ता है । रसायन शास्त्री घोर परिश्रम करके नए, ग्रधिक तीब्र गति से चलने वाले जेट ग्मानों के लिए, तथा उससे भी भ्रधिक शक्ति से चलने वाले राकेटो के लिए ई'घन्ो की खोज करने लगे 1 उतका ध्यान बोरोत और हाइड्रोजन के सबोग से बनने वाले यौगिकों ने खीचा। बोरोम झभौर हाइड्रोजत की, या जैसा कि उन्हें भभी भो कहा जाता है बोरोनों की ऊष्मीय क्षमता (४०८ एड्ोघ८) 15 हजार फिलोकंलोरी प्रति किलोग्राम ईघन है। यहू कार्बन-हाइड्राइड जाति के ईघनों से ध्राप्त होने वाली ऊष्मा से डेढ गुना भ्रधिक होती है / और ये वोरोन के योगिक विद्य त-गति मे जलते हैं, जो जेट मीटरो के लिये विशेष महत्व रखता है । बीरोन रखते वाले खनिज की भी कमी नहीं है - फोटोग्राफी से दिलचस्पी :. रखने वाले सब जामते हैं कि मह साधारख सुहागा है ।




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