पृथ्वीराज रासो भाग - 6 | Prithaviraj Raso Bhag - 6

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Prithaviraj Raso Bhag - 6  by चन्द वरदाई - Chand Varadai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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।आचो: संलब हक ४; . .... * श्वोशेजरासी, समय ६]. - -:- ह रे्वीजेल रासो | ह ः रा ९५१४ यह समांचार सुनकर कि चदेछों ने मेरे घावल बीरों को सारा पथ्वाराज़ छा क्राथ हआ। इृद्ा ॥ कह प्रिथ्य कानन सुनो । घाश्ल इहनत सुजान ॥ चाहआन चदेल सो' | कलि ज॑ंगी अति सान ॥ छ' ० ॥ ४६॥ पथ्वोशज का कन्ह चोहान को बछाना ओर सब सामंतों को इकटा करके यह सम्ताचार कह कर परामशें करना । कबित्त ॥ सुनिय वचन चहआतन । करिव चंटरेल विरुच्चद्ट ॥ हन घाइल बिन चक। ओर दासौ तिन सथ्यह ॥ सुनो कन्ह कमास । सुनो जादी रा ज्ञाम' ॥ सुनों चंद पुडीर। सुनो गुज्जर रा रास ॥ चाव'ड राइ सुनियो श्रवन । सलप पजन विचारियव ॥ सजम्म राइ निहू र सुनो । तत्त सुमत्त विचारियव॥ | ह ह छ'० ॥ ४७ ॥ सामतों का महोबे पर चढ़ाई करने ओर परिमाल देव को मार गिराने की सलाह देना, पथ्वाराज का झाभ महते द्खलद्याकर कृच. करना आर पाहुढ [दुन बाग सर डरा देना । 'पदरी ॥ उच्चर व्घेल लणष्यन समथ्य | संनियो देस महवो सुहृष्य ॥ उजच्चरिय वंत्त चह आन कन्द | भंजियं भप महुवो सुथन्न ॥ ै छ ० ॥ ए८॥ . चावड बोसि विरदालि व'क | धारह टेक सारहु निसंक ॥ बुजक्षियो चंद पुडौर वौर । पक्करि नरेस परिमाल धौर ॥ ः छ०॥ ४८ ॥ ' सबज्जिर राष्ट्र वोलिव विरत्त । कट्टिय भप चढिय सुरत्त ॥ सारंग बोलि वानो विराट । बट्टिय माल परिमाल थांद #॥ है छ्०॥ ६६० 1 -_सुनि मंत कुसद निहुरि नरेंस । मारिय वेस महुवी सुद्ेस ॥ के हः 3 के अब, हल > आल अदी जलन कक फल ॥/ आिीीःससससकसीलफन४+३ अक्‍ःती.क्‍हन७...०............ आड़ पट की स्सप+-+++-+म्म्मफफन्‍कन 9 ५->+++ुफहन+>+ऊ++3 मे




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