धर्म का स्वरूप आधुनिक अमेरिका में | Dharm Ka Svaroop Aadhunik Amerika Men

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Dharm Ka Svaroop Aadhunik Amerika Men  by हर्बर्ट डबल्यू ॰ श्नेडर - Harbart W. Shnedar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२१ ऋतिकारों युग मे घम का हो दूछ पता न हो। जिस बात की आवदश्यक्षता है बह यह है कि हम कुछ नई चीज़ा को पवित्र मानें, आदर के नये वियय बनायें, और परमात्मा के साथ नये सम्बंधा से साहचय स्वापित करें ४! इस प्रकार को अपनी जालाचना काई क्मजारी की दियानी नहीं थी, ऐक्न क्याहि यह इस सदी के अधक्ारपू्ण तीसरे दगर मे आया इसने एक ऐंस आक्रमण की चुरुआत कर दी जा तव से लगातार बढ़ता चेरा आ रथ हैं । घामिक सगदना का वद्धि किस लिया मे हो रहा इस बारे में हा आक्डटे पा सकना कठिन है। प्रतिशत के ट्साव से यदि वृद्धि नापी जाय सो उसमे छोटे-छादे अधिकतर फ्तर्मेटलिम्ट चर्चों को बहुत महृत्त मिल जाता है। भदस्थता क आकडा की आपस मे तुलना नहीं हो सकती व्याकि कुछ समुदाय (जम रामन कैयोलिब) सनस्‍्यता जम (या वपतिस्मा) से गिनत हैं, जब कि कुछ दूसरे केंवए प्रौटा की ही सदस्यता मानत हैं। यटदी आबादी का प्रायना-स्थान की समा भ सक्तिय माग लगे बाण की सख्या के साय महान्सही अनुपात निकालना मी असमव है। प्रदर्शित सामग्री स० (१ म एक ग्राफ दिखाया यया है जा वजाता है कि मुख्य-मुख्य धार्मिक संगठन एक दूसरे के अनुपात मं तथा आवादा वी वद्धि क अनुपात में किस प्रकार बढें हैँ । दस ग्राफ स मह बात प्रकट हातो है वि परिमाणा मत रूप से पारस्परिक अनुपात म काई बटुत वडा परिवान नहा हुआ है यद्यपि छोटे-छोटे सगठना के अपने अदर कापी परिवतन हा गये हैं । आमतौर प्र धामिक संगठन पर्‌र क ही अनुपात म हैं और जावादी वो वरद्धि वेः साय-साथ कुछ बढ गये हैं। प्राप्त आँवडा व और गहरे अध्ययन से पता खरटेगा वि उत्तर-यग्चिम नया दक्षिण-पूव मे, अर्यात्‌ आमतौर पर देहाती इलाहा में चर्चों का समस्या मं काफी वढ्धि हू है। इसका कुछ सबंध तो झन बाता से है जिन पर इस अध्याव मे हम विचार करन भा रह हैं। इसय भयद यह सिद्ध नही हाता कि इत इलाता म पहरे के बजाय थव घम जेज्याटा रुचि है लेक्नि यह अवश्य प्रव॒ट हाता है वि आवागमन वे सापना




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