दयानन्द छल कपट दर्पण भाग - 1 | Dayanand Chhal Kapat Darpan Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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॥ खासी ठयानन्द सरखदी क्ली जन्मपत्रका॥
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| ३६ मूल नाम नक्षत्र क्लादि ३६।४६ प्रीति नागर थोंगे क्लादि
६1०३ कोछय नाम कर्ण फछादि ०१॥३६ उपगनत सैनिक, चन्द्र तारीक्ष
०६ पर्व परिधि पश्चाग शुद्धों लघ दिन शमाण ३१1३२ राजिमान २८। २८ अहोश
प्रिमान ६०॥ ०० तथ सिदारं गताँशा १७। ५० 1२५ तन्र श्री सृस्योदियादिए्म,
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राशि धन्त, स्परामी शुरु, गण राक्षस, पर्ण क्षत्री, इत्यादि।
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देश फादियाचाट शजधानी मद्दाराज मोर्पी में रामपुस नाम एक छोटा सा
आम है, उस प्राम में भजजनदरि नाम कापडी रटता था, उसके केवल एक फन््या के
अतिस्कि कोई पुत्र नहीं था, इस लिये रात्रि दिवस डसको पुत्र का मुण देखने
फी प्रचुर लछालशा ऊरूमी रहती थी।|एक दिन किसी महात्मा ने उसको उपदेश
दिया फ्रि यदि तृ पक सो एक ( १०१ ) दिन मदादेव जी के मन्दिर मैं गोधुत का
दीपक जराया करे दो श्विजों को छपा से तेरे भी कुछफा दोपक पुत्र उत्पक्ष होये |
ः
”. भज्दाहरि की घुद्धावश्पा होगई थो, पुत्रोत्पति फ्री उमग में मदोन्मच था इस
के एक छोटा भाई खोतारोमहरि नाम और था, उसके भी कोई पुत्र नहीं था,
घर्मकायय में भज्ाहरि की घुछ्धि सदा सर्यदा से उत्तम थी, महात्मा जी का
उपदेश मान हर्ष सहित शिव भन्दिर में दीपक घरने लगा, और थोडे ही दिलों में
शिंवज्ञी की छपा से तथा दोनद्वार फरम्मेकाएट फे योग से भज्ञनदरि की ख्री फो
गर्म रहा, संग्मत् १८८१ भाद्धपद शुद्ध ०६ शुर्गार के दिन पुप का जन्म हुआ # |
तिथि घार मदोना जन्मपत्री फे अनुसार छिपा गया है, नौर ज्न्मपत्री झा फछ
दूसरे भाग के सन्त में लिखा ज्ञायगा, तथा देखो उर्दू धर्षे जीवनपत्न दाहोर, तारे
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'१७ सून सन् १८८८ ६० 1 1! दि
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