सभाष्या रत्नमन्जूषा | Sabhashya Ratnamanjusa

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Sabhashya Ratnamanjusa  by हरि दामोदर वेलंकर - Hari Damodar Velankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तृतीयांडध्यायः चित्तानागुपचित्रार्थानां तेपां शास्पादोन्युयजीवन | फ्ैश सतत प्रातीत्य .(प्य ?बुघों नाथ्व॑ तान्वपि याति तथापि।॥ वानवासिका प्णि ॥2४॥




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