पंचास्तिकाय प्राभृत | Panchastikay Prabhrit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
439
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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-समपण ०: .
हमारे पूज्य पिता शेठ दीपचदजी बडजात्या 'नागोर! वासी
जिन चारित्र चक्रवर्ती श्राचा्य शातिसागर महाराज के
स० १९८४ मे सद् दश्शन से श्री सम्मेद शिखर में
सदू धर्म मार्ग के गाढ श्रद्धालु बने, उनके,
जिनके सदुपदेश से स० १९९६ मे सवाईमाधोपुर (राज० ) मे
दूसरी ब्रत प्रतिमाके व्रत धारणा कर नेष्ठिक श्रावक बने
ऐसे दिगम्बर मुनि चद्रसागरजी महाराजके,
जिनके दिव्य धर्माम्ृृतका पान कर नागौर वि० स० २००६ मे
सप्तम श्रावक बने ऐसे आचार्य वीरसागरजी महाराज के
और
जिनके चरण सानिध्य मे लाडनू स० २०१६ मे समाधिमरण
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पूवंक नर देह को छोड कर स्वर्ग वासी बने ऐसे
वर्तमान आझाचाये शिवसागरजी महाराज्ञ के
कर-कमलो मे
तत्त्व प्ररूपक आचाये कुन्दकुन्द देव विरचित यह
पंचास्तिकाय प्राभृत
समपित हे
विनीत-चादमल नेमिचद बडजात्या नागौर (राजस्थान )
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