प्रताप नारायण मिश्र जीवन और साहित्य | Partap Narayan Mishra Jivan Aur Sahity

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Partap Narayan Mishra Jivan Aur Sahity by सुरेशचन्द्र शुक्ल - Sureshachandra Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९ ) को रीमारी के विषय म उनसे प्रइन किया । सकताप्र्तीद ने घोड़ा हो देर म उत्तर दिया वि आपकी मेस छापम मिलते पे लिए बहुत जल्द भाना बाहती है। साहब रो मिश्र जी की बातो पर विद्वास्त ने हुआ । उन्हांने समझा कि यह बात याहियात है । पर द। ही टिंठ मं जद मस साहब उनके सामने आ खड़ी हुई त्तो बीयर साद्दब बहुत चब्राय और तब से बह सकटाप्रभाद जी का बड़ा आदर करन लग ।'* ज्योतिष से संबटाप्रसाद जी ते दशा धन कसाया 1 ये राजाओ तथा बढ-वड़े घताढय सोगा की युण्दलियाँ बनाते थे. और इहें एक-एक ऊुंष्डली से पाँच-पाँच सो रुपये तक प्राप्त हाते थे । धीरे घीर इन्हान तोषष्ा (कानपुर) मे छाट छाट पाँच मकान खराद लिये । बहुल ये मकान सपडूल ये बन हुए भ। आज इन्हा पौँच सवानों ने स्थान पर तीन बड़ मकान बन हुए हैं. जिनका विवरण आग दिमर जायगा। बजगांद म सकटाप्रसाद जी के दाता भाई एक ही गूद म॑ रहते थ ।* जब बड़ भाह द्वारिकाप्रसाद और उनकी पत्नी का देद्ान्त हा गया तो छाट भाई यदुतन्दन बहाँ वी सम्पूण सम्पत्ति की देख रेख फरन सग। सकराप्रसाद जब पानपुर मे भ्ली घरह जम गय भौर उनके तिजा मकात भी हो गये तो बजेगाँव की सम्पत्ति का पूरा अधिवार उद्ति अपने वड भाई यदुनत्दत को < दिया और बहा जि अब वजगाँव गा सव सम्पत्ति आपरो है। आप जसे चाह इसका उपयाण कर। बजगाँव मे मदुतन्दत जा क प्रास एक वड़ा भकान हुद्ध बारें और यायें थी इंही स उतरा जन मापन होता था । आग चलकर जब यद्ुनत्दन जी की पत्नी और उनका घौटह वर्षीय एजमान्र पत्र अम्दिगाप्रसाद का स्वगवास द्वो गया तब उन्हान अपनी सब सम्पति घुक्टेव (घघरे भाई रे पौष) का द दी। छुकुदव स यह सम्पत्ति उनको (छुक्रेव ही) सहकी का प्राप्त हुईं। धड़वी रू परि--लालताप्रसाद दीतलित अपने सम्पूष परिवार (भाई और मताज) सहित 'पुक्देव के पास रहने लग। खालताप्रसाट ने गाई सताने न हुई छव मह सम्पत्ति उनके भवीज शामकिक्र दीक्षित स्तोमिली। यही आजबल प्रिध॒ जी को मेजेगाँव को सम्पत्ति के अधिवारी हैं। रामदिविर जो हे पास अब भी बुद्ध बारें और वही पुराना वाद है। यह मंवान लगभग तौन सौ यथ पुराना है। इसवा मुख्य दरवाजा पद की मार है। बाहर बठव का अमरा है । उस बपरे झे आश वाद 4 नव्ञतीदार सम्मा बी उोपास थो जा मद शिर गयो है। इस महान * भातर घार आँगन हैं और यहुत स्त बमरे तथा दालातें है सभी दातानां में बाद के तशक्ाएरीलटार सम्मे हैं। पहल दा बच्च कुएँ थे जा अब बैंठ गय हैं। प्रात का शटुत-सा भौतरी हिस्सा घिर गया है। रामस्ध्िर जो इस मषान मो है 'बालप्ुक्तद धुप्त निदायायसतों प्रथम माय (२००७ दि०) पृष्ठ हह हे आद्यर्चा तप्श ५ सख्या ३- अताप-चरित्र प्रतापनारादण मिथ 1




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