आखर बेल | Aakhar Bel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आबर बेल 25
खिलौणा खातर लड़ण लागे | नीद मे ऊंघता टावर रोबै - अवार नी खाऊ फेर,
बाटकिये में मेल दी, दिनग खा लेसू | बतावी औ काई व्याव ! अर कैड़ो व्याव ?
आगे इणरो काई रूप वणला । की ठा पड्ढे ! पूरी ऊमर आगे पड़ी है | काल ने ना
करै नारायण, की हुय जाये तो का में बड़ी ! पछे औ काचा सूत क्यू पक्ेटो ?
बाहूपण मे जो रामजी रूसज्या तो आखी उमर रडापी भुगती । का नातो का
नारगी। आगे कूवी अर लारै खाड़ 1
आज रै इण भीतिकवादी युग मे वेवा जीवण री हालत कितरी दयनीय अर
दर्दनाक है । चूड़ी फूटग्यीं उपरा तो भाग ही फ़ूटग्या | इण कुटछ जमाने रै विषाक्त
चातावरण म॑ यार बेवा री तो जीणी अर मरणी मुसकल । आ तो अबै कल्पना ही
कूड़ी है के रामनाम रे आसरे चरखी कात जमारी काट लेसी | अरे | उर्णर भी की
आशावा, अभिलापावा, उमगा हैती ह्लैला ? वाने मार समाज रा मोसा उठती
आगढूया अर खोटी मीट ने माथी नीची कर कीकर झेलती हल्ला ? बात अनुभूति
री है | बावाजी तापी हो बच्चा जी जाणै है | इणारी दुर्दशा अर इणारै पग बारे
गया समाज री दुर्दशा सू चचावण रो जावती करणी जरूरी है | शिक्षित समाज ने
बाक् विधवावा रै पुनर्विवाह रै बारे में विचार करणी अर कदम उठावणी ही पड़ैला।
समाज री एड़ी नाजीगी मर्यादावा त्तो तूटणी ही चाहीमे | आधुनिक विचारबवात्या
युवक्क युवतियाँ मै इण समस्या सू पार पावण री चेष्ट करनी है। विचला अर निचले
वर्ग रा लोगा मे थेटू नाताप्रथा चाले । पति मरिया देवर री चूड़ी पैहरणी, फादयोड़ै
माधे कारी लगावणी कोई अजोभी बात नी माने | नियोग प्रथा भी पैला चालती ।
अरे बड़ा आदम्या, थे लुगाई चल्या पछै बारे दिन नीठ ऊडीको झट व्याव कर लेवी
तो था मरा लुगाई व्याव करै तो इतरी दोराई क्यू ? धीगाणै समाज री विसगतिया
दोषा रा भागी क्यू बणी ? रोग री जड़ तो वा विवाह है ।
बाछ विवाह रै कारण केई वेमेर ब्याव भी रचीजै | लड़का लड़की रे ऊमर
में 15 20 वरसा रो फरक मिक्के | एक रै माझछरात अर एक रे पीछों बादछ,
बछध ऊठ वाली गाथी कीकर निभे ! इण वेमेरू व्यावा रे कारण समाज मे
कुकरम फैले, मानसिक विणाड़ पैदा हुवे । फेर रूढ़िवादिता अधविश्वास रे कारण
भूत पलीत, डाकणसारी, झाड़ा जतर, डोराडाडा रे नाम धूर्त पाखण्डी लोगा रे
चक्कर मे रोग अर रपड़ी वध | सताजोग साइणा टावर रे व्याव री जोड़ो भी
वण तो पछै समझ पड़ता ही पेट मे टावर पड़े, लारै कोकठ ऊछरे । वानै पाछे
किया अर छोड'र जावै कठै । जवानी मे बूढ़ापी बताय दे । तदुरुस्ती ममावी अर
तंगी भुगती 1 पण अबै बात लोगा रै समझ आवण दूकी है अर दिनोंदिन
वाढविवाह रो चलण कम हुवण लाग्यौ है ।
इण कुप्रथावा माथे आकस लगावण में सबसू सजोरों उपाय है - शिक्षा | जद
लोग शिक्षित हो समझण लागतसी तो कुरीता मत ही मिट जासी । देख ली जिकी
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