आखर बेल | Aakhar Bel

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Aakhar Bel by ओंकार श्री - Omkar Sri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आबर बेल 25 खिलौणा खातर लड़ण लागे | नीद मे ऊंघता टावर रोबै - अवार नी खाऊ फेर, बाटकिये में मेल दी, दिनग खा लेसू | बतावी औ काई व्याव ! अर कैड़ो व्याव ? आगे इणरो काई रूप वणला । की ठा पड्ढे ! पूरी ऊमर आगे पड़ी है | काल ने ना करै नारायण, की हुय जाये तो का में बड़ी ! पछे औ काचा सूत क्यू पक्ेटो ? बाहूपण मे जो रामजी रूसज्या तो आखी उमर रडापी भुगती । का नातो का नारगी। आगे कूवी अर लारै खाड़ 1 आज रै इण भीतिकवादी युग मे वेवा जीवण री हालत कितरी दयनीय अर दर्दनाक है । चूड़ी फूटग्यीं उपरा तो भाग ही फ़ूटग्या | इण कुटछ जमाने रै विषाक्त चातावरण म॑ यार बेवा री तो जीणी अर मरणी मुसकल । आ तो अबै कल्पना ही कूड़ी है के रामनाम रे आसरे चरखी कात जमारी काट लेसी | अरे | उर्णर भी की आशावा, अभिलापावा, उमगा हैती ह्लैला ? वाने मार समाज रा मोसा उठती आगढूया अर खोटी मीट ने माथी नीची कर कीकर झेलती हल्ला ? बात अनुभूति री है | बावाजी तापी हो बच्चा जी जाणै है | इणारी दुर्दशा अर इणारै पग बारे गया समाज री दुर्दशा सू चचावण रो जावती करणी जरूरी है | शिक्षित समाज ने बाक् विधवावा रै पुनर्विवाह रै बारे में विचार करणी अर कदम उठावणी ही पड़ैला। समाज री एड़ी नाजीगी मर्यादावा त्तो तूटणी ही चाहीमे | आधुनिक विचारबवात्या युवक्क युवतियाँ मै इण समस्या सू पार पावण री चेष्ट करनी है। विचला अर निचले वर्ग रा लोगा मे थेटू नाताप्रथा चाले । पति मरिया देवर री चूड़ी पैहरणी, फादयोड़ै माधे कारी लगावणी कोई अजोभी बात नी माने | नियोग प्रथा भी पैला चालती । अरे बड़ा आदम्या, थे लुगाई चल्या पछै बारे दिन नीठ ऊडीको झट व्याव कर लेवी तो था मरा लुगाई व्याव करै तो इतरी दोराई क्यू ? धीगाणै समाज री विसगतिया दोषा रा भागी क्यू बणी ? रोग री जड़ तो वा विवाह है । बाछ विवाह रै कारण केई वेमेर ब्याव भी रचीजै | लड़का लड़की रे ऊमर में 15 20 वरसा रो फरक मिक्के | एक रै माझछरात अर एक रे पीछों बादछ, बछध ऊठ वाली गाथी कीकर निभे ! इण वेमेरू व्यावा रे कारण समाज मे कुकरम फैले, मानसिक विणाड़ पैदा हुवे । फेर रूढ़िवादिता अधविश्वास रे कारण भूत पलीत, डाकणसारी, झाड़ा जतर, डोराडाडा रे नाम धूर्त पाखण्डी लोगा रे चक्कर मे रोग अर रपड़ी वध | सताजोग साइणा टावर रे व्याव री जोड़ो भी वण तो पछै समझ पड़ता ही पेट मे टावर पड़े, लारै कोकठ ऊछरे । वानै पाछे किया अर छोड'र जावै कठै । जवानी मे बूढ़ापी बताय दे । तदुरुस्ती ममावी अर तंगी भुगती 1 पण अबै बात लोगा रै समझ आवण दूकी है अर दिनोंदिन वाढविवाह रो चलण कम हुवण लाग्यौ है । इण कुप्रथावा माथे आकस लगावण में सबसू सजोरों उपाय है - शिक्षा | जद लोग शिक्षित हो समझण लागतसी तो कुरीता मत ही मिट जासी । देख ली जिकी




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