अथ इंद्रियपराजयशतक | Ath Indiryaprajyashatak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 MB
कुल पष्ठ :
982
श्रेणी :
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No Information available about भीमसिंह वेदालंकार - Bhim Singh Vedalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनुक्रमणिका, चु
४ बासठ मार्गणाछारे प्रत्येके चोद जीवनेद विचास्था ठे. ५००० ,»-- धैप
७ बासठ मार्गणाछारे प्रत्वेके गुणगणां विचास्मां ठे. .... क्नक ,००० पएए0
६ बासठ मार्गणाझारे प्र॒त्येके पंदर योग विचास्था ठे ० ...० पएएए
9 बासठ सार्गणाछ्यारे प्रत्वेके वार उपयोग विचास्था ठें जप , पेण्द्
ए मन, वचन अने काया, ए त्रण योगमार्गणाने विपे जीवस्थान, युंणस्थान,
योग अने उपयोग घअआश्री मतांतर कझयुं ते हि ...० रिण्ए!
ए चासठ मार्गणाछारे पत्येके ठ लेश्या मांहेली लेश्या कही ठे. .... प्र०
१० बासठ मार्गणाना जीवोनु मूल चोद मार्गणाए करी प्रत्येक मागणाना जीवो
विपे अब्पवहत्व विचार ठे. .... ० सुरेश
११ चोद गृणवाणाने विपे जीवन्चेद, योग, उपयोग, लेश्या विचास्थां ठे. प्श््
११ चोद गरुणठाणाने विपे मूल कर्मबंधना वंधद्ेतु चार ठे अने जत्तर वंधहेतु
सत्तावन ठे, ते सर्व ज्ञांगां सहित विचास्या ठे. .... | .»»० एैश४
१३ चोद गुणगाणे उदय 'अने सत्ता तथा जदीरणानां स्थानक कह्मां छे. ..... ४०
१४ चोद ग्रुणगाएं वत्तता जीवनुं अब्पवहुल कहयुं ठे प्र
१५ ओपशमादिक पांच ज्ञावनुं खरूप, मतिनेद तथा ज्ञांगा सहित प्रत्येक
गरुणठाणे विवरीने पठी आउ कर्मने विपे बिवरीने कझ्ु ठे. .... ,.»» ४४
१६ संख्याता, असंख्याता अने अनंताना भेद कह्मा ठें. (या ० ए४
शए बाचीशमों शतक नामा पंचम कर्सग्रंथ ठे, तेनी अनुक्रमणिका लखीए ठीए. पे
१ संगलाचरण करी ग्रंथना अनिभेयन्ूत ठद्दीश छारनां नाम कह्मां ठे. ..... एछछ
५ श्ुवचंघिनी तथा अश्वववंधिनी पक्ृतिनां नामोजुं पहेलुं अने वीजुं 5४२. .... ०
२ घ्रुवोदयी तथा अध्ुवोदयी प्रकृतिनां नामोनुं त्रीज् ु तथा चोथुं छार कझुं ठे. एघण
४ प्रकृतिनी सत्ताना श्रवाधुवपणानुं पांचमुं तथा ठछुं छार कहुं छठे. .... .... एप
५ सर्वधाति तथा अधाति प्रकृतितुं सातमुं अने शआठमु छार कझुँ छठे. .... ए०९
६ पुष्य तथा पापप्रकृतिनां नामोर्ु नवमुुं अने दशमुं छार कद्युं ठे प्
घ अपरावत्त परावत्तेसान प्रकृतितुं अगीआरमसुं तथा वारमुं छार कझुं ठे ४|
क्रेत्रविपाकी प्रकृतितुं छार, जीवविपाकी घकृतिनु छार, लवविपाकी प्रकृति
झार तथा पुश्नलविपाकी प्रकृृतिनुं छार, ए चार छार क्या ठे. .... ला
(९ घकृति, स्थिति, रस अने घदेश ए चार प्रकारना बंधनां चार छार कह्मां ठे. एए३
१० सूल प्रकृति आठनां वंधस्थानक कहीने तेने विषे ज्नूयसस््क्ारादिक चार बंध
फल्ाब्या ठे तथा ज्ूयस्कारादिक वंधनां लक्षण कह्यां ठे. ..... >> चप्टए
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