महाभारत हरिवंश - पूर्वार्ध | Mahabharat Harivansh - Purvardh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mahabharat Harivansh - Purvardh  by रामचन्द्र शर्मा - Ramachandra Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामचन्द्र शर्मा - Ramachandra Sharma

Add Infomation AboutRamachandra Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
3७५७७ ८ ८७) « 4७.4 ७ ८2.3 3, 44 3 484 494:49 4, 40५4 410 4.48. &-40-4 40:52००५4 ६ ( १८). $# महदाभारत-इहरिवेशमाहात्म्म # | पौधा 1 जनिवतने 1 ११ ॥ यथाएखं व्यवहरेन्नित्य विष्णुपरायण+ । ञ शुचिः शुद्धमनार्ितिष्ठन्‌ पत्रावर्ल्या च भोजनम्‌ ै( १२॥) कया : समाप्त भक्ति च कुर्यान्तित्यं कथाव्रती । द्विदुलं मथु तेल च १ गरिष्ान्ने तमैव च ॥१३॥ भावदुएं पयु पित॑ जह्यान्तित्ये कथा- ६ आती । हंताक च कर्िंग च दस्धमन्न मसूरिफाम्‌ ॥१७8॥ निष्पा- च बर्जयेध्च फथावती । पलांदु लशुनं हिंगं मृलक गंजन तथा १४ ॥ नालिकारूल कृष्पांडं नैगाद्राच्च कथा- बती | काम क्रोध मद मान मत्सरं लाभमेव च ॥ १६ ॥ दंभे मेह तथा द्वेप दरयेच कथाजती । वेदसेप्णवविश्ा्णा शुसगोत्न- तिनां तथा 1 १७ ॥ स्त्रीराजमद॒ता निन्‍्दां वर्जयेच्च, कथावती। छुखपूर्वक् शयन फरे, पार्पोको दर करनेके लिये ( श्रोताकों ) नियम आदि करने चाहिये ॥ १०-११ ॥ विष्णुगें परायएण रहने वाला महुष्य जिसमें सुख मिले उस प्रकार बर्ताव करे, आर पवित्र होकर शुद्ध मनसे पत्तत पर भोजन जीमें॥ १२ ॥ अतथारी मनुष्य कथा समाप्त होने पर भोजन करे, कथाका बत धारण करने वाला मनुष्प द्विल ( चना आदि ) मधु तेल, गरिए झज्नको, छोर भाजरूपित अन्नको, आथोर्‌ किएको, देखफर वित्तके घिन लगे इस अन्नफों और वासी अन्नको न खाय, कयाका बत धारण फरने वाला मनुष्य बेंगन सिरस जला हुभा अन्न मसूर भेंटदास और मांसमय भोजनको त्याग देय, आर कथयाका बत धारण करने वाला मनुष्य प्याज रदसन हींग गाजर नालिकामूल ( शाकृषिशेप ) और पेठेको न खाय और कथाव्रत्ती मनुष्य काम क्रोध ल्लोभ मोह मद मान मत्सर और दंभको द्र करदे, और कूथाइदीपुरुष देदू वेप्णद भ्राझ्मण है घती गोत्ती स्त्री राज्य और उदार पुरुषोकी निम्दा करना ६ स्पाग दे, और फवाबनती घुरुष रनस्वला स्त्री स्लेच्छफों स्त्री शश्कशआकापज्थशचाक अं चका फ पात भा रहा एक ए प्यातफ आकर प पक प पक फ पका ज पाक धन आाका-क पाए ड़ 8.०२०५ & / के 3,/8420/032+7%,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now