भारतीय स्वतन्त्रता - आन्दोलन का इतिहास भाग - 1 | Bharatiy Svatantrata Aandolan Ka Itihas Bhag - 1

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Book Image : भारतीय स्वतन्त्रता - आन्दोलन का इतिहास भाग - 1  - Bharatiy Svatantrata Aandolan Ka Itihas Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका 25 मकान, खेती के लिए ख्ते छत चराग्राह तथा दघन और सारी के लिए जबत-- ये सद माव और उसके क्षेत्र में सम्मितित थे। मूत गाव झसामिया डी योपदिया जाए घरों का एक युब्ड हाता था। यदि ला गाव में ही रहता या ता सर भवन योर भवन के साथ लगे जन्य हिस्से--जैसे कि वात कौर वहीं-कही विर्जाघा--भी वही हाते थे । पद के बाहर झूले मदान रहत थे।ये दा उसमाव भागा में बटे होते ये । छोटा भाग गाव के साइड बयवा सिलियू- क जिए सुरक्षित था और बडे भाज में क्मिता बे परिदार हिस्सा आठ वर वान चल्ाव्रे थे । जरूमी का जात को वर्गेट! अथवा याडलप्ड नाम दिया दाना था जार यह साधारणतया 30 एक्ट हाती थी। हिस्ने दारो के हर परिवार को एक निश्चित आर स्थायी हिस्सा सिर जाता था जो चार व: (एक हाइड) से सकर आधा वोट (हाइड का आटवा भाग) नव होता घा। सेव्ल यह हिस्सा एक इकउछे टुक्डे के रूप में नी ह्वातना या और एक जाब लक सीमित नहीं रहता या । यह कई रूम्दी आर सकरी पट्टिया स जिनमें प्रत्यश् राधारपतया एक एक्ड (220 गज़ लम्बी जोर 22 पत्र चीौडो) को होती थी बार ज्सि एक दिन म जोता जा सकता वा मिल वर बनठा या। ये पट्टिया पूरे मदान में विखरी ड्रोतो ची। मेंढ या अनजुती घास उन्हें एकन्दरेसर से अवा करतों थी। ऐसा वटवारा सहयोगा कृषि को थावश्यक्ता पैदा बर देता था। “सलिए जाठ बला स खीचे जानेवाले वढ- बढे पहियावाले हत जुताई के विए एक साय तोड लिए छाते थे। अकेले एक किसान द्वारा वाम में लाए जानेवाले विना परटिया के हल भी इस्तमात में जाते थे। जवन निराह के ररिए विन फ़्मला की बादस्यक्ष्ता थी वे रब गाव में डगाई जाती थीं--भत की फ्सरें जस गह तया रई, जौ तथा अगूर, जिनसे शराब दनती यो, जड़, सम मौर मटर ज्य पयुआ क चारे के काम जाती थी और रुपडा बुनने बे! काम आनवालो पटसन। फल उगाने की पद्वति एक दो या तीन खेतों पर निमर रहती यथीं। खेती को प्रगणाला बहुत आदिस कालीन थी, इसलिए उपज बहुत कम हाती थी आर व्यक्तिगठ रुपसे वियान के लिए ऐसा आकफ्पण नहीं था जिसके चसते वह बढिया तरके इस्तेमाव करता ॥ इस प्रक्‍ार एक बुघधत बीज बोन पर सिफ चा या पाच बुणल ही बनने पैदा हा पादा था । गाव के निवासी चे-- (1) विरान और मजटूर जा खेत पर बाम करते ये और जो मुक्त असामी और कमिये झयवा रयत ब्टताते थे, (2) दस्तवार जैसे बदई चमार लुद्दार, सुतार झुताहे कतियें बेक्र आदि (3) गाव के लाट के बमचारी दीवान, भष्डारी बेंलिफ॒न्नयवा कातूना और जाई के स्वर के जनुसार अन्य कारिन्दे (४) लाड के परिवार के सदस्य ओर उसक स्कवायर तथा (5) पादरी । पहल सीन अबुलीन-दग के लोग हाते थे औ- बाद के दो झुलोन-बप व। इन दाना दर्पो करू परस्पर-सम्दापा सही सामस्ती समाज का एवं विशेष स्वरूप प्राप्त था| ये सम्दय उनके जीवन वे आथित सामराजिश पार राजनोतिक सी पक्षो को प्रभावित करते ये । ये उपार्त व उन विशिष्ट तरीश-द्वारा निर्धारित होते थे, जा तद ततज' चलते रह जब तक पूवीवाद न उन्हें झखाट नही फ्रेंका | दसवीं और स्पाणछ्वी दतादिया में ग्राम” हलता में प्रमुख रूप स बमिया अथवा स्यथता की हो सस्या तधिक था। दाद में मुक्त अतामी झव्या में बट गए बोर अन्तत कमिया प्रथा समाज हर दो गई। कमियः के हर परिवार काय्राम केला” कोबोरस घ




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