मध्य - प्रदेश और बरार का इतिहास | Madhya Pradesh Aur Barar Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अध्याय 1 २१ प्रचलित किया जो शकाब्द कहलाता है । सन्‌ १५० ईसी से इस राजा की मृत्यु हुई । गुस-युग--आन्ध्र वश के बाद मगध के गुप्त राजा शक्ति शाली हुए । उन्होंने अपनी शक्ति भारत के इस भाग की ओर बढाई । उनकी राजघानी पाटलिपुत्र ( आधुनिक पटना ) में थी । इस वश का सस्थापक चन्‍्द्रगुप्त प्रथम घा जे सन्‌ ३२०ई० में सिंहासन पर बैठा | इसने भी एक सबत्त चलाया था। इसका पुत्र समुद्रशुप्त बडा भारो येद्ध! था। उसने अनेक देश विजय किये शऔरर प्रसिद्ध अश्वमेघ यज्ञ किया उसके विजय का इतिहास इलाहाबाद की प्रसिद्ध लाट पर खुदा है। इस लैस के अछुसार उसमे दक्तिणफोशल ( आधुनिक छत्ती- सगढ ) के राजा महेन्द्र को जीता था। उसने भारत के इस भाग के पहाड़ी स्थानों के राजाओ को भी पराभूतत क्रिया था। इन राजाओं भें एक का नाम व्याभराज था। परन्तु समुद्रगुम ने अन्त मे सन विजित राजाओं के खतस्‍न्‍्त्र कर दिया आर उन्हे अपने सामनन्‍्त राजा बना लिये। यह वात आरग से प्राप्त एफ शिलालेस से प्रमाणित हुई है। इस शिल्ालेस् मे गुप्त सबत्‌ की तिधि है और यह ईसा की छठो सदी फे अन्त का 'है। हरखामी और बापस्थामों मामक दो व्यक्तियों को भट्पल्लिकां आम साफी में दिया गया--यही इस शिलाल्तेस का अ्रमिप्राय है। रायपुर जिले की काडिया जमीन्दारी का यरपकी गाँव भठपल्लिफा हो सकता है। इस शिलालेस में




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