श्रेष्ठ रूसी बाल - कथाएं | Shreshtha Rusi Bal Kathaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्शू
छीलन पर सो रही थी, जिस्म तोडा और मालिक के पीछे हो ली। लुका
अलेक्सान्द्रिच के ग्राहक बहुत ही दूर रहते थे, इसलिए उनके घर तक पहुचने
से पहले तरखान को कई वार भठियारखाने मे जाना पडता था और बूद-दो
बूद से मला तर करना पड़ता था। लाखी को याद था कि रास्ते मे उसके त्तौर-
तरीके खासे बेहूदा रहे थे। इस खुशी से कि मालिक उसे धुमाने ले जा रहा
है, वह उछल-कूद रही थी , घोडा-ट्रामों के पीछे भोकती हुई दांडती थी, अहातो
में घुस जाती थी और दूसरे कुत्तो का पीछा करती थी। अक्मर वह त्तरखान
की नजरों से ओभल हो जाती। वह रक जाता और गुस्से मे उस पर चीखता-
चिल्लाता। एक बार तो चेहरे पर ऐसा भाव लाकर कि मानो उसे खा हो
जाएगा, उसने लाखी का लोमडी जैसा कान मृद्री में भरकर ऐठा और एक-एक
शब्द पर जोर देते हुए बोला
“कमबख्त | तेरा सत्या मास हो”
ग्राहकों को सामान पहुचाकर लुका अलेक्सान्द्रिच दो मिनट को बहन के
घर गया , वहा चबैने के साथ कुछ पी , फिर जान पहचान के एक जिल्दसाज के
यहा गया, वहा से भठियारखाने में, भठियारखाने से एक ओर रिव्तेदार के
यहा, वगैरह , बगैरह। सक्षेप में यह कि जब लाखी इस अनजान फुटपाथ पर
पहुची तो शाम हो रही थी और तरखान नशे में धुत्त था। वह जोर-जोर से हाथ
हिलाते हुए आहे भर रहा था और बडवडा रहा था
“पाप में जन्मा मा ने गरभ में मेरे! ओह, हमारे पाप! पाप! अब
चले जाते है सडक पर, वत्तिया देख रहे हैं, मर जाएगे तो नरक वो आग
में जलेगे।”
या फिर वह मस्ती में आ जाता, लाखी को अपने पास घबुलाता और
उसे कहता
“अरी लाखी, तू तो बस एक जानवर है और वृुछ नहीं। आदमी के
सामने तो तू वैसे ही है, जैसे तरखान के सामने दो कौडी का बढ़ई। ”
जब वह उससे यो वाते कर रहा था, तभी अचानक बैड बजने लगा।
लाखी ने सिर घुमाया और देखा कि सडक पर सिपाहियो वी एक टुबडो सीधी
उसकी ओर वढी आ रही है। लाखी बेड-बाजे का शोर नहीं सह सकती थी
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