श्रीमती काफ़े | Shrimati Kafe
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीमती काफे [] रद
उत्तेशवा की लहर उसके सोने को छूने लगी। वह चाय बनाता जा रहा है, लेकिन
उतनी चाय कौन पियेगा कोई नही जानता । शायद वह फेंकी पढेगी । लेकित भजन
पर मशा-सा छाने लगा है। उसने टेबुल पर रखे लेम्प को जरा दिसकाया तो रोशनो
को लकोर पार्टिशन के पोछे चली गयी । फ़िर उसने मारायण से पूछा, “गाना गा
भैया २! पु
और कोई समय होता तो नारामण हंस देते, लेकिन इस समय बोले, “फिर
तो सुनने वाले जुठ जायेगे ।/”
बात सही है । भजन थोड़ा शमिन्दा हुआ 1 वह भौंहे त्िकोड़ कर बधेरे में न
जाने षया देखता रहा । शायद बह सोचने लगा कि अब क्या किया जा सकता है ?
पाटिशन के पोछे आगन्तुक ने अपना सूटकेस खोला तो कमरे में अफीम की
मादक गंध फैल गयी । वहाँ मौजूद लोग समझ गये कि सूटकेस में गेर-कानूनी अफीम
है। फिर ऊपर से एक पेकरेंट हटा कर आगस्तुक ने नीचे से एक पैकेट निकाला और
नारायण को दिया। +
नारायण ने वह पैकेट खोला ठो उसमें से काले नाग की तरह दो चमकते हुए
रिवाल्चर निकले । छह खानों वाले रिवाल्वर | एक बार धोड़ा दवाने पर एक गोली
छूटती है तो दूसरी गोली उसकी जगह ले लेतो है । इस तरह लगातार छह गोलियां
चलागयी जा सकतो हैं । रिवाल्वर देख कर नारायण की शात आँखें एकाएक बंगार की
भाँति जलने लगी | होठों पर विपाइभरी मुस्कराहट खिल गयी जिससे निष्ठुरता ही
झलकी । मानो उन्होंने दुश्मन को देख लिया हो ।
कृपाल और हीरेन न जाने क्यों हृवक़ा-दका लगने लगे। कहना चाहिए कि वे
घबड़ा गये । जो कुछ हो रहा है, उससे उन दोनों ने डर और वेचेती का अनुभव किया।
हालाँकि जेल से छूटने के वाद उन्ही दोनो ने नये सिरे से आंदोलन छेड़ने की बात सोची
थी। उन लोगो ने सोचा था कि नारायण भैया हमे कोई रास्््ता बतायेंगे। लेकिन
मारायण भैया का रास्ता इतना भयानक होगा, यह उन लोगों ने कमी नहीं सोचा था।
हीरेन और कृपाल जिन््दगो में पहनो बार अपने सामने रिवाल्वर देख रहे हैं ।
लेकिन उन लोगो ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी इस रास्ते पर आने की वात नही
सोची ।
आगन्धुक ने नारामण को बोर एक पेकेट दिया। इस पेकेट भें कारतूस हैं ।
उसके बाद उसने एक पत्र भी दिया। पत्र सफेद कागज मात्र है। लेकिन आय की आँच
में उस पर लिखावट साफ होने लगेगी।
अब आगसल्तुक ने अपनी टोपी उतारी । अब उसका चेहरा साफ दिखाई पढा ।
वह चेहरा इस देश का नहीं है। नाक चपटी और आंखें छीटी-छोटो हैं। साँप की आँखों
की तरह उन आंखों की दृष्टि भी अपलक है। हृटी-कूटी बगला में उसने कहा, मैं
कलकत्ते जाऊँगा । अभी जोर माल छुड़ाना है ।”
वह अफीम का स्मयलर है। पैसा कमाने के अलावा उसका और कोई
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