बाईसवी सदी | baisavi Sadi
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.76 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्२ बाईसवीं सदी थे । उन पृष्ठोंके पढ़नेसे ज्ञात हुआ २०२४ ई० दीमें प्राचीन संसारका यह महत्वपूर्ण पद उठा दिया गया । अब न तो सेना कहीं हैं न सेनापति ही | मैंने शमी इतना ही देख पाया था कि इतनेमें सभी लोग कामपर नें चले श्राये । आते ही सुमेघने मुक्ते चलनेके लिए कहा में उठ खड़ा हुआ । मकानसे बाहर जानेपर केवल किवाड़ लगाकर जब सबको ही चलते देखा तो मैंने पूछान कया यहाँ कोई नहीं रहेगा £ काम कया है ?? चीजोंकी रखबालीके लिएः और नहीं तो सकानमें ताला ही लगा- कर कह प्यनजान ऑदमीद्वारा भूल-चूकसे पुरा छू जानेके डरसे तालेकों बिजली के कारखानों में लगाते हैं । यहाँ किताबों के छूनेसे कौन मर जायगा कोई जीव-जन्तु भीतर जाकर कोई चीज खराब न कर दे इसके लिए दरवाजे नो लगा ही दिये हैं । कि जानवरका नाम श्राते ही स्मरण रा गया कि यहाँ तो पहले बहुत बन्दर थे पूछानन _. च्छा यह तो मालूम दुआ कि श्ब चोरीकी सम्मावना नहीं है | परन्तु यह तो बताओ पहले यहाँ बहुतसे बन्दर रहते देखे थे अरब वे क्या हुएनननएक भी नहीं दीख पड़ते ? श्रार यह सौ वषसे पूर्वकी बात पूछ रहे हैं । मैंने पस्तकोंमें पढ़ा है पहले जिनर्नजिन स्थानोंपर बन्द्र बहुत थे फसलका नुकसान देखकर .सश्कारने बड़े यल्नसे पकड़-पकड़कर उनमेंसे बन्द्रियोंकों तो हजारों पिंजड़ोंवा लें रख छोड़ा और बन्द्रॉंको एक टापूर्मे छोड़ दिया । इस प्रकार २०-२५ वर्प के व्यत्द्र सारे बस्दर स्वयं नष्ट हो गये क्योंकि. उनकी सम्तान-बृद्धि रुक गई 1 तो क्या दब बन्दर हैं ही नहीं कुछ हैं जो प्राणिविद्याके उपयोगके लिए बड़े-बड़े संग्रहालयोंमें रकखे गये हूं. जहाँ उनकी संतवति ब्ावरय कता के ब्नमार सतादे साती दै सम्तण
User Reviews
No Reviews | Add Yours...