रहीम - रत्नावली | Rahim Ratnawali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : रहीम - रत्नावली  - Rahim Ratnawali

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मयाशंकर याज्ञिक - Maya Shankar Yagnik

Add Infomation AboutMaya Shankar Yagnik

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(४ ) ने उसे अपने पास ही रक्‍खा श्रोर शिक्षा का झच्छा प्रबंध कर दिया । तीव्र बुद्धि बालक ने विद्या प्राप्त करने में पूर्ण परिश्रम किया शोर अरबी फ़ारसी तुर्की संस्कृत श्रोर दिन्दी भाषा का अच्छी प्रकार अभ्यास कर लिया । अकबर ने ही इनका विवाह भी खाने झाज़म की बद्धिन माइबानू बेगम से कर दिया जब बादशाइने गुजरात पर यढ़ाई की तो ये भी साथ गये श्रौर घहां पारन की ज्ञागीर प्राप्त की । दुखरी बार फिर गुजरात की लड़ाई में रद्दीम गये तो चद्दां की सूबेदारी मिली । युद्ध का अनुभव विजय श्रोर उच्चपद्‌ तथा जागीर सभी मिले श्रोर भाग्य का उदय हुझ्ा । फिर मेवाड़ की लड़ाई में इनको जाने की श्ाज्ञा हुई + दे बष तक मेवाड़ में रहे श्रौर झन्त में जब उदयपुर को जीत लिया तो बादशांद्द ने दरबार में बुला कर मीर छाज़े का ऊँचा श्रोहदा दिया जो झत्यंत विश्वासपात्र सरदार को दिया जाता था | थोड़े दिन बाद अजमेर की सूबेदारी खाली हुई । चह्द थी बादशाह ने इनको देदी श्और साथ में रणथमस्मोर का किला भी दिया । कुछ समय बाद बादशाह ने रद्दोम को शाहजादे खलोम का शिक्षक नियत किया । शिक्षक का काय॑ करने में जो सपय मिलता था उसमें वाकृयसत चाबरी का तुर्की भाषा से फारसी में अनुवाद किया जो श्रकबर को बड़ा पसंद झाया ओर जौनपुर का इलाका इसके इनाम में रददीम ने पाया । जब श्रकबर ने पद्िल्ली बार गुजरात को जीता था तो मुजफ्फूर सुल्तान को बन्दी कर लिया था । मुज़फ्फूर किसी प्रकार निकल भागा शोर सेना एकत्र कर फिर गुजरात में उत्पात मचाने लगा । विद्रोह शान्त करने के लिए रहीम को फिर सेंजा गया । इस बार विज्षय प्राप्त करना सहज नहीं था--रद्दीम इस बात को जानते थे । झददमदाबाई भी सुज़फ़्फए




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now