षट्पन्चाशिका | Shatpanchashika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)7७ प्टु-माषादीकासहिता।. (१७)
टीका-पश्नलममसे दूसरे वा तीसरे स्थानविषे शुत्
ग्रह गुरु, शुक्र पढ़ें तो जो प्रवासी ग्राम गया हो सो
शीघ्रही आवे और शत्रुकी सेनाशी शीघ्रही आवे
इसमें कुछ संदेह नहीं. ओर फोजभी लोटिके घर आवे
पह फल कहिना चाहिये ॥ ५ ॥
तिपर्परचाशिकासुबाधिनीटीकायां नयपरानयाध्यायरदे वीयः३॥
अथ शुभाशुभान्याह ।
केंद्रनिकोणेषुशुभस्वपितेषुपपिषुकेद्राएमव-
नितेष ॥ सवाथसिद्धिप्रवदेन्नराणांविपयेय-
स्थेषुविपयेयःस्यात् ॥ १ ॥
दीका-जो प्रश्नकर्ता पूछे कि मेरा कार्य होयगा कि
1ही!तव लगसे चौथे सातमें दशमें नवमें पांचमें स्थान-
गे जो शुभग्ह पूर्ण चंद्रमा, चुंध। गुरु, शुक्र ये बेंढेहोंय
गे शुभ कहना. और केंद्रस्थानमें और - «४
पपपन्ह युक्त न होय तो वा मनुष्यकों सका
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