किरातार्जुनीयम | Kiratarjuniyam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
465
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गो े
उपदातः
अयि साहित्यरसास्वादूनपरायणा सहदया विद्वास !
श्रीमता लत्न भवता यदिह समेडपि शरीरिण सतत सुप्मेव
सप्रीहमाना द्रीहरयन्ते । परमिद्ठ कमष्यनिर्दचनीय निरतिशयातन्दरूप काम्यादि
परिशीझनमन््य अश्ानन्द्सहोदर जीवनोद्ेश्यमूत सुखविशेष सविशेषमनुभवितु
कैंपन विरछा पृ साहिस्यरसिका परममाराधैया पारयन्ति!
ततससाघवतयैच भवता घुर भ्रस्तृथते किराताणुनीय नास मद्दाकाव्यम । य्धि
“ भारवेरधंगौरवण्म्रिति छोकोक्ति कृतार्थथत् , स्थले स्थल गुणणणगरिमाइतिशालिन
हाक्षय अक्राश्य परमरमणीयचमत्कारशालि चार्थगौरव समुज्ञास्य समेपासपि
बिहुपां चेतअमत्करोति ।
प्रत्थोध्य किरातवेषघारिशिवमजुनज्ञाधिकृश्य झतो मारविणेतरि समूल्फमन्वर्थ
फल भरत शब्दादिसौष्ठवगुस्फनद्वारा क्ाम्यजगति विदृग्धवेतसा परमा
पद
अमुनोदि की. समाराष्य शिवमव्रुपत् ) सतुष्टाच भगवत् शिधात्
मप्ताइर्पेण पाशुपत्तास्र भाषदित्यत्न भ्रधानदिषयो विदेकिमो लिदुपा।
अस्मिग्र महासहोपाध्याय-कोछाचछ-भट्दिनाथक्ति-छृता घण्टापधारुपा ब्याएया
परमप्राचीना स्वाक्लीणा च सपोजिता नितरा चफास्ति । परमघत्वे खुकुमारमतीना
लावतादि सर्वेथाभ्ययनादो पूर्णसौविष्य न भवति स्मेति निभाषय प०
है पवन बिरचिता “पकाश” साज्नी परमोपकारिणी हिन्दी
दीका$पि अतरा समुजूम्भते
अन्यस्पास्य निर्माता विद्वदृधुरीणस्य दुण्डिय पितामह ओऔनारायणस्वाम्रित
स्वनूजो दामोद्रापरनामा झुग्मद्दीतनामधेयस्तत्रभवान्, महाकवि श्रीभारविमहदोद्य
'१एशचकान्ते सप्तमशतकादौ व इलातलूमिद समचीभसत्।
५. पजन्मना च फतम देश ध्यबूभुपदिति विशेषप्रमाणानुपलब्धे वेक्तु न पार्यते ।
फैचल चैन गा पर सन्नापि प्रवक्प्रमाणववरद्यन्न नो विश्वास ।
्याख्याविधाहु कवेसंल्लिनाथस्य स्थितिकालस्तु चतुर्ईझ जिस्ताब्दीय जातक
हि न अमल तन्न विवाद ।
नषथा छाभछो् विधूय सस्कृतच्छाज्रद्वितेपिमि श्रीजयक्ृष्णदा[सहरिदासगुप्त-
महोदये परमोपकारिणीमिक्कसस्कृतहिन्दीटीकाइबीमि समलडध्य विद्अकाए.
सशोष्य उइ॒ अन्धोज्य प्रकाशता
डॉ इति. ओशकाद्रण्रसयोजकदष्टिदोपेण
संशोधकर्रश्दोपेण च जायमाः ण क्षस्यन्ते
अरमदमासा चर्च गुणेकप्राहिणो सनीषिण चस्वन्ते इति
विदुुपामचुचर --
सम्पादृकः
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