हिन्दी गाथा सप्तशती | Hindi Gatha Saptashati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(२१ )
पठम बारह मत्ता, बीए अद्धरणद्दि सजुत्ता।
जह पठमें तह तीअ, दृद्द पद्चविहृसिआ गाहा।॥।*
सस्कृत छन्दशाशत्र में आयो के लिए जो नियम निधोरित दे बह भी
इसी अकार का है--
थस्या पादे प्रथमे द्वादशमाजरास्तथा तृतीयेहपि |
अष्टादश द्वितीये चतुर्थ के पश्चद्शसाय्यों ॥
अर्थात् जिस छन्द छा प्रथम चरण बारह मात्रा का (स्वर की
लघुता एवं गुस्ता के परिमाण से ) द्वितीय अठारह का, ढृतीय बारह
और चुथ पन्द्रद का द्वोवा है उसका नाम आयी है'। इस प्रकार
सस्क्ृत की आयों हो प्राकृत का गाथा छन्द है ।
बज्ञालग्ग! मे जयवल्लभ ने गाथा! की सराहना करते हुए कहा है--
अद्धक्सरभणियाण नूण सबिलासमुद्धहसियाइ।
अद्धच्छिपेच्छियाइ गाहाहि विणा ण णाज्ञति॥ ६॥
पही नहीं, आगे कहा है--
गाथा रुपह बराई सिक्खिजन्ती गवारलोएहिं।
कीरइ लुख़पलुखा जद गाई मन्ददोदेहिं॥ १४ ॥
कंबि उम्रग मे यहाँ तक कह गया है. कि--
ललित महुरक्सरए जुपईजणवल्लदे सपसिंगारे।
सते पाइअकब्ये को सक्कश सकय पढिऊ॥
अथोत् ललित एवं भधुर, श्गारिक तथा युबती जन प्रिय गाथा
सस्कृत काव्य से फ्हों मिलेगा १
उपसंहार
इस प्रकार यद् स्पष्ट है कि गाथा सप्तशदी! बदी रचना नहीं है.
जिसे गाथा कोश नाम हारा अमिद्धित किया जाता है। 'शालियाहन
$ ससकृत रूपान्तर--
प्रथम ड्वादथ मात्रा द्वितीये क्ष्टाइशपि सयुक्ता।
चथा प्रथम ठया तृतीथ दशपञ्नविभूषिता गाथा ॥
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