वल्लभ पुष्टि प्रकाश | Vallabha Pushti Prakash

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Vallabha Pushti Prakash  by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भथम भाग । (९) और श्रीगोइलनाथजी तथा श्रीगोकुलचन्द्रमाजीम॑ और | श्रीमथुरेशजीमें तथा श्रीमदनमोहनजीम कुछ होयहे । सोही डोलकों भी होयहे । सब ठिकाने राज भोग पांछे खेले हैं फिर उत्सवमोग आंवे है ।और श्रीविदल- नाथजीम वसन्‍्त पीछ छठते ख्ड्ारमें वसन्‍्त खेलेहे। सो होरीडडाताई । पाछे राजभोग पीछे खेलेहँ। ओर डोलमें शृद्धारसमें बिराजें पाछे राजभोंग आंवे। श्रीगोकुलनाथजीमें वसन्तपीछे छठ्त श्ृद्धारहीमें खेले । सो डोलय्पयेन्त | पाछे राजभोग आवेहे। श्रीमदनमोहनजीम छठ्ते शृद्भार पाछे खेल। पाछे राजभोग आवेहे । ओर एक वसन्तपथ्प्मीको;उत्स- वभेग सव जंगे आविह। ओर नित्यखेलके समय पासही एक पड़चापें छन्नासों ढौकके आब है। और रामनोमी श्री विदलनाथजी तथा श्रीगोकुहनाथजी तथा ओी मदनमोहनजी यह तीनो ठिकाने प्रातः सभ्र ओीठाकु रजीकी जन्माए्मीवत्‌ पश्चाप्ठतम्नान होयहे । ओरजंगे जन्म समय श्रीवालकृष्णजी अथवा श्रीगिरिराजजीकोंही पश्चाप्रत स्नान होयह। और केशरी बागा केशरी कुल्हे सब जगह घरावेहें श्रीमहाप्रश्जजोक उत्सव दिन केशरीसाज केशरीबागा केशरी कुरहे सब मन्दिरनमे घरे ह।और श्रीगोकुलनाथजी में श्ेतसाज श्तही कुल्हे रहेहे। ओर तिलक नहीं होयहे । सो ताकी कारण कि श्रीपादकाजी औमहाप्रशुजीके चोरीमें गये मन्दिरमें ते ता ते बिरह मानेहें। और अक्षयतृतीयाति सब मन्दिरनमें उष्ण कालकी सब साज सुपेद्‌ होयह। सो पिछवाइ, चन्दुआ, बागा, वस्र, सब साज सुपेद रहे । ओर नित्य मोतीनके




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