हिन्दी विश्व कोष भाग 15 | Hindi Vishv Kosh Bhag 15

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Hindi Vishv Kosh Bhag 15 by नगेन्द्रनाथ बसु - Nagendranath Basu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रपोन- प्रोम २३ है। जनसर्या चौदद दजास्से ऊपर है। यहा जिला । सम्रद्धिशाली नगरीके ध्यसावशेषके निदर्शन परागोदा म्रु सिफकी अदालत और दो रुईके कारखाने हैं | अदावा इसके तीन प्राचीन मन्दिर भी देसे ज्ञाते हैं। नीछ द्वी यद्माफा प्रधान व्यवसाय है। अ्रपोज्ञ (अ ० कि०) १ तजवीज करना | २ प्रस्ताय करना । प्रोपोजछ ( अ ० पु० ) प्रस्ताव । प्रोप्राइटर ( झ ० चु० ) स्वामी, मालिक । ओओोफेसर ( अ ० पु० १ किसी विपयजा पूर्ण शाता, भारी पणिडत। ० किसी विश्वविद्यालय आदिका अध्यापक | प्रोयेशन ( अ ० घु० ) काम करनेफी पोप्पताफे सप्वन्धर्म जाय | प्रोयेशनरी (अ० थिं० ) १ योग्यतापी जाचसे सम्बन्ध रखनेयाला । २ जो इस शर्त पर रपा ज्ञाय, कि यदि | सतोप जनक फाये फरेगा, तो स्थायी रुपमें स्प लिया ज्ञायगा । प्रोम--निम्नयहाके पेगू जिल्नन्‍्त्गत पक जिला । यह इंरावती नदीकी विस्तीर्ण उपत्यक्ाभूमिं पर अक्षा० १८ १८ से १६ १५१3० और देशा० ६४ ४५से ६५ पर पू०फे मध्य अयध्थित है। भूपसरिमाण २६१५ चर्गमोरू है। इसके उत्तरमें धयेत स्थो, पूर्वमें पेशुयोमा पवतमाला, दक्षिणमें हेननादा और,थरायती तथा पश्चिममें आराकन गिरिश्रेणी है। इरायती नदीके उत्तरसे दक्षिणकी भोर बहनेके कारण जिला दो भार्म्े विभक छुआ है। दीनों द्वी भाग घन माणासे समाच्छन है भीर बीच वीचर्म पर्यतमालानि खत छोटो छोरी स्लोतस्थिनीके बहनेसे बदाकों शोभा देखते बन आतो है। इन सव मदियोंमेंसे दक्षिण पशर्चिममें प्रया हित ना विन नामक नदो हो सबसे वडो है। प्राचीनकालमें ध्रोमराज्य विशेष सम्रद्धिशाली था | प्रह्न ऐेतिहासिकोंका फहना है, कि गौतम युद्ध प्रोमराज्य देपने भापे भर अपना घर्ममत प्रचार कर गये। उद्दोने समुल्यक्ष पर गोमय देस कर फ्हा था, कि एक समय ( १०१ य्ष वाद ) उस रूथान पर थ->ेश्लेत्र (श्रीमेत्न) नगर बसाया जायगा और उस महानगरोमें वौद्धधम पूणे प्रतिप्राछाम करेगा ।' भागे चल कर यथार्थमें ऐेसा | आदि आज भी धान्यस्ेव और दुलदूल स्थानोमें दृष्टि गोचर होते हैं। ऐतिहासिक्रोंका कहना है, कि थरे सेल नगरके चार्सों किनारे भ्राय, २० कोस परिधियुक्त प्राचीर था जिसमें ३९ वड़े और २३ छोटे दरवाजे थे। ०रो शताब्दीर्मे चद नगर श्मणानर्म परिणत हो गया। कफार्येज साहब (0४६४० (0 0 #, 77०17८७)ने लिखा है, कि ध्रह्मके इतिदासानुसार मालूम होता है, कि भोम राजबशने ४४४ खु०पू०ले १०७ ६० तक राज्य किया था। बन शाज्वशके ततोय राज़ाके शासनशालमें भाणत इति दासम॑ भोदो प्रसिद्ध घटनाए घटी । एक ३२५ खुण्पू०में महायीर अलेकसन्दर फ्तुक भारत आक्रमण और दूसरी सप्नोद अशोकके राज्याशासनके समय भद्दत्‌ मोग्गलि चुतको अधिनायफ्तामें ३०८ सुण्पू०फों तृतीय महावोद्धसडू । इसके चाद ६०० खुण्पृ०्के निक्थयत्तीं समयसे ही विभिन्‍न देशॉकी ऐतिहासिक घटनायछीके साथ यहाका ऐतिद्वासिऊ युग निणीत दोता है। उस समय सिंदल द्वीपमें दोद्धशासत्र देश मापामें लिसि गये । तालपवमें लिखित प्रह्मके इतिहासमें घटनाका ते प॒राज़ाफे १७वें धपमें सघटित द्वोना ल्खिा है। धद राजा पहले वौद्ध- मठमें धर्मालीचना करते थे । पूर्वकत्तीं रामाफरे योई सन्तान न रहनेके फारण उन्होंने इस वाल्ककों गोद्‌ लिया था। इस राज़ाका सिंदासनारोंहणकारल १०० खुण्पू०्के फिसो समय होगा। थे हो भीसेत्र-राजव॑शफे श्श्धें राजा थे । उस ते प-राजवशने प्राय २०२ पर्ष तक थ रे सेत्रफा शासन किया । इसके वाद शददृविदादसे राज्य उन्नाड सा हो गया था। इसो समय आराफनवासी कन रन लोगोंने उस पर अपना अधिकार ज्ञमा ल्या | उस समय घु फन्‍न्‍य राजा थे। चैंदेशिकोंकी आगमनयार्ता सुनते ही राजाके भतीले थमुनद्‌ वित्‌ प्रोमके दक्षिण पूर्ण तोड़ स्लु नामक स्थान को भाग चले। फिल्तु कनरनेने उनका पीछा शिया, तब चे इरावती नदी पार वर उत्तर मिन्दून नामक स्थान दो हुमा। यत्तंमान प्रोम नयरसे ३ फोस पूछ उस महया- | में जा छिपे। कनरनेने उन्हे बहासे सदेशा। सर ये




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