अक्लमन्दी का खजाना | Aklamandi Ka Khajana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand); अकमन्दोजा खजाना 1 १७७
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(. सतलन यह है कि जो शख स ऊपरके सवानात सनमे सदा
विचाग्ता रहवा है बक्न एफाएकी मुर्खोवर्स्स नडो फँसता । किसी
कामके आरम्भ करनेसे पहिले तो उपरोत्ता प्रश्न अवश्पहों
विचारनी चाश्पयें।
6 [ १६) ब्राह्मण, करती ओर वेश्यो का टेवता अग्नि के,
ऋषि-मुनियों का देवता उनके हटयमे रहता हैं, अच्पबुद्दियो
अर्थात् कम-चक्की का देवता सूत्तिम रहता ४ , किन्तु मम
, दर्शियोंका देवता सब्र ठौरही रहता के ।
(१७) स्वियोका गुरु केवल पति है। प्रभ्यागत ( सिदद-
सान ) सबका गुस ऊ । ब्राह्मण, क्षत्री ओर वैश्य इन तोनो
वर्षों का गुरु अरिन | और चारोहो वर्णो का युरु ब्राह्मण हैं ।
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+ पाचवा अध्याय ।
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>अध्ट1८ है , उसी भाँति दान, शील ( स्वभाव ), गुण ओर
| चानचलन' से युरुषकी परोच्षा होती है । ह है
(२) जबतक़ डर पाथन आया हो तबतक हो डरसे
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