अक्लमन्दी का खजाना | Aklamandi Ka Khajana

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Aklamandi Ka Khajana by बाबू हरिदास वैध - Babu Haridas Vaidhya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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; अकमन्दोजा खजाना 1 १७७ किशन न जरलनज जे जन्‍जओ+ »>3 +ज>-+ज +- ब्झआ के अन>> मेंकलरड ह ! भेरी आमदनी यीर घ्च क्या है * में किसका है ? सु से कितना बल इ £ दतने प्रद्चय सन में बारमबार चिचारने चअआहियें। - (. सतलन यह है कि जो शख स ऊपरके सवानात सनमे सदा विचाग्ता रहवा है बक्न एफाएकी मुर्खोवर्स्स नडो फँसता । किसी कामके आरम्भ करनेसे पहिले तो उपरोत्ता प्रश्न अवश्पहों विचारनी चाश्पयें। 6 [ १६) ब्राह्मण, करती ओर वेश्यो का टेवता अग्नि के, ऋषि-मुनियों का देवता उनके हटयमे रहता हैं, अच्पबुद्दियो अर्थात्‌ कम-चक्की का देवता सूत्तिम रहता ४ , किन्तु मम , दर्शियोंका देवता सब्र ठौरही रहता के । (१७) स्वियोका गुरु केवल पति है। प्रभ्यागत ( सिदद- सान ) सबका गुस ऊ । ब्राह्मण, क्षत्री ओर वैश्य इन तोनो वर्षों का गुरु अरिन | और चारोहो वर्णो का युरु ब्राह्मण हैं । ५५» ््ऊ + पाचवा अध्याय । 1 12 क2बैंकशण प्रेटऋ0८४ सम भांति कस्रोटोपर घिसने, काटने, आगमें तपाने । डा | 1 और इहथौडोसे कूटनेपर “सोने” को परोच्ता होती >अध्ट1८ है , उसी भाँति दान, शील ( स्वभाव ), गुण ओर | चानचलन' से युरुषकी परोच्षा होती है । ह है (२) जबतक़ डर पाथन आया हो तबतक हो डरसे




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