कबीर पदसंग्रह | Kabir Pad Sangrah
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है अर
हा
रे) कहे कबीर चेतरे अंधा ॥ रे
5 -.संत्त राम झूठा सब घंधा॥ ५ ॥
४ पद १९. ( राग गौडी )
£ जम ते उलट भ्रए हैं राम ॥ ।
४1 वुश्ख बिनसे सुख कीयो बिसराम ॥१॥ ४
| बरी उछठ भए हे सीता ॥ ्
साकत उलट सुजन भ्ण चीता॥ २४
अब सोह सरब कुशल कर सान्या ॥
सांत भ्ट जब गोबिंद जञान्या ॥ ३ ॥
तनमय छोती कोंद उपाध ॥
उलठ भाई सुख सढेज समाघ॥ ४ ॥
आप पछाने आपे आप ॥
रोगन व्यापे, तीनो ताप ॥ ५॥
अब मन उलठ सनातन हुवा |
तब जान्या जब जीवत मुवा॥ ६ 0
कहे कृवीर' सुख सदेज समाओ ॥
आप नडरो ना और डराओ॥ ७ ॥
पृद् २० (राग मौडी )
पिंड झुंये जीव कहे घर जाता ॥
सबद अतीत,अनाहछुद राता ॥ १ ॥
जिन राम जान्या तिनहे पछान्या ॥
जियुं गुंगे साकर मन मान्या॥ २॥
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