हिन्दी के वैशव कवि | Hindi Ke Veshav Kavi

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Hindi Ke Veshav Kavi by ब्रजेश्वर - Brajeshwar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चैष्णय फाब्य पा उद्गम और उसका वातावरण २१ उपयुक्त पुष्टिमागाय कयिया के अतिरिक्त कृष्ण भक्ति, के अन्य सम्प्रदाया के अनुयायियों मे मी हिन्दी के फवि हो गये है। दितहरिवश ने, जो मध्याचार्य के अनुयायी ये, स्वय राधायज्ञमी सम्प्रदाय वी स्थापना की ओर बृदायन यों अपने सम्प्रदाय का फेन्द्र बनाया । इसी सम्प्रदाय के अ्रन्य कप्रियो मे हरीराम व्यास और शुवदास के नाम प्रसिद हैं॥ निम्बार्र मत के अनुयायी स्वामी हरिदास ने ट्ट्टी सम्प्रदाय की नींव डाली] निम्बार्त सम्प्रदाय के ही अनुयायी श्री भट्ट फवि भी ये। श्री चैतय महाप्रभु के शिष्यों मे मी हिन्दी के एक कवि गढाधर भट्ट थे | ये भी इन्दायन म॑ रहते थे। इनके अतिरिक्त एक सूरदास मदनमोहन नामक पत्रि हो गये €, जो गोड़ीय सम्प्रदाय के अनुयायी थे | ब्र3 ऊृष्णमक्ति का केन्द्र हो गया और यहाँ से भक्ति की पयस्विनी प्रयादित दोवर समस्त मध्यदेश तथा उसके याहर फी जनता को भी प्रेम ज्ञाबित करो लगी। अज मे सभी सम्प्रदायो के मन्दिर यन गये । यय्रपि पुष्टिमाग या प्रधान सदिर, जो ओनाथजी के मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध था, याद मे औरगजेत के शासनसल मे बन्दायन से उठफर नाथदोरे मे चला गया, फिर भी पुष्टिमार्ग के अन्तर्गत श्रन्य गदिया पे फेस्द्र बून्ठाउन मे प्रयरर पने रहे | अ्न प्रदेश पे पाहर द्िन्दी के दो अत्यन्त प्रसिद्ध कृष्ण भक्त वध्ि श्रीर हुए ६। एए हैं मैथिल-कोरिल प्रिद्यापति और दूसरी मीरापाई। पिद्यापति यद्यपि वेष्णय नहीं ये, फिर भी उ्टीने अपनी पदावली में शाधा- कृष्ण के प्रेम फा चित्रण किया दे, जिसमें मदकवि जयदेय के काय का लालित्य पलौर सस्तता तथा चण्डीदास की भक्ति-भायना और तन्मयता




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