वेदानुवचन का हिन्दी - अनुवाद | Vedanuvachan Ka Hindi - Anuvad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका 4 कर लिफाली गईं हैं । हस यार न पेपल लियाह, धपाह घ सफाइ ही था अधिय सरायाल पिया गया एँ, यहिर कागग़ घ जिद्दवदी का भी । फलत सवप्रसारंण यह झादत्ति उत्तम रुप में प्रकाशित की गई है। सा १६१० यो ग्रवेक्षा सय यस्तुच्ा या दाम यहुत बढ़ गया हैं, ह्सक्षिये इस झापूति का दाम पदल से अधिक कर दिया गया हू । जो साधारण सम्प्रण की कापी पहल १) रप््या पर दी भाती थी, उसया मूटय १४) रपया आर जो विशेष सस्‍्करण की कापी ५1) पर दी जाती थी, उसबा मूरय <) रपया रक़्या गया ई। भाशा हैं, तशध्प मे जिल्ायु हसे सरशी से स्परीवार करेंगे । पऋत म एस पुस्तक के श्काशकों लिपिकार, प्रिटर और उसके साथ-साथ लीग को में श्रत ददय से धायवाद देता हूँ कि जिनकी दिली ८मर्गों, उत्साह और परिश्रम से यह चौथी भाद्॒त्ति पूरं होकर जयता तक पहुँच सकी | ईश्वर करे हम सबके दिल एसी प्रकार झआरमज्ञान के पाने भौर फैलाने में उमगे मारते रहें, और इस शुभ घार्य में सर्वप्रकारेंण अपने को जगाते रहें, जिससे अपना झौर दूसरा का करयाण होता रहे | तथास्तु । आप्वथर, ११3० भार० एस० पारायण स्वामी




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