यंग इण्डिया भाग - 3 | Yang India Bhag - 3

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Yang India Bhag - 3  by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सबसे बडी बात श्ह एकमात्र तलवारमे रहता है। हम लोग इससे घबरा गये हैं और इससे विद्रोह फरनेपर उतार हुए हैं। इसलिये हमें उचित है कि हिलाका साव प्रथट कररे हम अपने उद्दे श्यको अन्धकारमें नडार दें। अग्रेजोंकी सख्या परिमित है सही धर थे हिसाफे लिये तैयार हैं। हम छोगोंक्की सख्या अपरि- मित है तोभी दम भविष्यमें बहुत दिनोंतक हिसाकी प्रवृत्ति नहों दिखका सकते। यदि धरम छोगांको हिसामें रुचि दिखलानी हैँ तो हमे अमोसे हृताश हो जाना चाहिये | मैंने एक धर्म भीझ अग्नेज रमणीका पतन्न पढ़ा है। डखने ज्ञेनरछ डायरके पक्षका समर्थन किया है। उसने लिखा है कि यदि जेनरल डायरने इस तरतकी घीरता न व्खिलाइ द्वीती तो इन भारतायोंके हाथों न जाने कितने पुरुषों और रम- णियोंके प्राण गये दोते। यदिं हम छोगोंकों पशुता इतनी यढ गई है कि हम लोग नरण्क्तसे द्वी सन्तुए द्वो सकते है तो हम ससारसे जितना शीघ्र उठा दिये जाय उतनादी दो अच्छा है। हमारा अन्त जितवा दी शीघ्र हो जाय उतना अच्छा दे। इसका दूसरा पहल्यू भा ६1 इस रमणीफो यह बात नहीं सुभ्दी कि यदि हमलोग मित्र थे तो जलियाबालायागमे जो मुल्य दम लोगोने अग्नेंजोंको जान मालकी रफ़्ताके लिये दिया यह कर्दी अधिक था। उन्होंने अपनी रक्ता दमारे अपमान ओर अनादरखे को। जेनरछ डायरकी करनीफी दूबी जवानमें निन्‍दा को गयो दे और उसझे पीठ छोकमेयाक्ले सर




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