खादी क्यों और कैसे | Khadi Kyo Aur Kaise

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Khadi Kyo Aur Kaise by गाँधीजी - Gandhiji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्रामोद्धारके लिझ्रे कताओं श्प चाजे शाप्ट्रर न धम हो सकता है न बला हा सकती हैं जौर न बहू अपना समठन हा बार सकता है। यग आअिडिया १७-२-२७ खादौबा अब' बता मिशन है। खाटी अुन खा जागोंतों गौरव पूष आुद्याग प्रटान करता है जा बपमें गम चार सास बेकार रहते हू। अिस वामस जो आमटना हाती है भुसे छोड दें ता भी बह स्वय अपना पुरस्कार है। क्योकि अगर लासा छागातों मजबूरत बाएसी बनकर रहना पड़े ता अवश्य ही आुनवा आध्यात्मिक शारसरिव' और मानसिक मृत्यु हा जायगा। चरखमें 'टांखा गरीब स्त्रियाका दजा अपन आप बट जाता है झिप्रीअ चाहे टायाक्ता मिटका कपड़ा मुफ्त टिया जाता हा तो भी आअुनरी सच्चा भरटाओ अिसीमें है विः थे भुस एनसे जझिनवार कर में और अपनी महवतका थुपज खाटीका पसद करें। हरिजन १०-१२-३८ ८ ग्रामोद्धारके लिम्रे कताओ खरखा गुझे जनमाधाण्णवी आशाआज्ष प्रनाक माटूम हाता है। अर्वेजा सोकर ओन्हाने अपना आजादा जैसा कुछ भी वह था खो दी। चरपा दहातका खेताकी पूर्ति चरता था और बुत गौरव देता था। बह विधवाआका मित्र और सहारा था। वह ह्शातियाका आ्स्यस बचाता था क्याकि चरफमें पहड और पीछेवे! सब बुचाय -- उातओी विजाजी तासा भरना माड ल्‍ुगाना रगाआ और बुनाआ--आा जाता थे। और बितस गावक बटआ ओर टूहार काम छग रहते थ। चरखसे सात लास गाव आत्म निभर रत्त थे। चरवक चरे जान पर दैल्घानी आदि दूसरे ग्रामांधाग भी खतम हा गय)। जिन धधाकी जगह गौर किमी घघधन नहीं ली। जिसशिशे देहातस थऑुनक विविध




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